Business Studies, asked by ks762656, 11 months ago

ek rabhavi sangathan ke liye antran kyu avshyak hai ​

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Answered by Anjaligiri
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संगठन (organisation) वह सामाजिक व्यवस्था या युक्ति है जिसका लक्ष्य एक होता है, जो अपने कार्यों की समीक्षा करते हुए स्वयं का नियन्त्रण करती है, तथा अपने पर्यावरण से जिसकी अलग सीमा होती है। संगठन तरह-तरह के हो सकते हैं - सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, सैनिक, व्यावसायिक, वैज्ञानिक आदि।

संगठन प्रणाली विभिन्न संघटकों से निर्मित होता है। इसकी संरचना में विभिन्न निवेशों का योगदान होता है, जिन्हें संगठन के उद्देश्य कहा जाता है।

(1) श्रम विभाजन - व्यक्तियों एवं विभागों के द्वारा सम्पन्न की जाने वाली क्रियाओं का उचित निर्धारण, स्पष्टीकरण एवं पृथक्करण किया जाना चाहिए। तत्पश्चात् कार्यों का वितरण व्यक्ति की रूचि एवं योग्यता के आधारपर किया जाना चाहिए। इससे कार्य निष्पादन में दोहराव समाप्त होता है तथा प्रयास प्रभावपूर्ण बन जाते हैं।

(2) मानव समूह - मानव समूह संगठन का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है। क्रियाओं के समूहीकरण व सत्ता के वितरण में व्यक्तियों की सीमाओं व क्षमताओं का पूर्ण विचार किया जाना चाहिए।

(3) भौतिक साधन - संगठन एक सीमा तक भौतिक संसाधनों - पूँजी, मशीनें, यंत्र, सामग्री, भूमि आदि का संकलन एवं संयोजन भी है। व्यक्तियों को उनके कार्य निष्पादन में सहायता पहुँचाते हैं।

(4) वातावरण - नियोजन की भाँंति प्रत्येक संगठन संरचना का एक आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक एवं नैतिक वातावरण होता है जो कार्य निष्पादन में सहायक होता है।

(5) अधिकार सत्ता - अधिकार सत्ता अन्य व्यक्तियों को निर्देश देने व उनका पालन करवाने हेतु बाध्य करवाने की शक्ति होती है। कर्मचारियों को प्राप्त होने वाली सत्ता संगठन में उनकी स्थिति, वैधानिक नियमों, अनुभव, ज्ञान एवं प्रथाओं पर निर्भर करती है |

किसी भी उपक्रम के संगठन का निर्माण करने के लिए जो आवश्यक कदम उठाये जाते हैं, वे निम्न प्रकार से हैं -

1समन्वय - संगठन संरचना की अन्तिम प्रक्रिया है। विभिन्न विभागों के बीच समन्वय स्थापित करना, जिससे कि उपक्रम के समस्त विभाग एकजुट होकर संस्था के उद्देश्यों की प्राप्ति में प्रयत्नशील हो सकें। विभिन्न विभागों के बीच सम्बन्धों को परिभाषित करना ही संगठन प्रक्रिया की अन्तिम कड़ी होती है।

2 क्रियाओं को श्रेणीबद्ध करना - समान प्रकृति अथवा सम्बन्धित क्रियाओं को श्रेणीबद्ध किया जाता है। क्रियाओं के श्रेणीबद्ध करने से विभागों तथा उपविभागों का निर्माण होता ।

3 व्युत्पन्न उद्देश्यों, नीतियों तथा योजनाओं का निर्माण

4क्रियाओं का उपलब्ध मानवीय एवं भौतिक साधनों की दृष्टि से श्रेणीबद्ध करना जिससे कि साधनों का अधिकतम उपयोग हो सके।

5 क्रियाओं की विभिन्न श्रेणियों का परस्पर गठबन्धन। इस प्रकार का गठबन्धन क्षितिजीत तथा ऊध्वधिर हो सकता है।

6अधिकारों का प्रत्यायोजन - कर्मचारियों के मध्य कार्य वितरण द्वारा उन्हें कार्य सम्पादन व उत्तरदायित्व सौंप दिया जाता है। उत्तरदायित्व की पूर्ति के लिए उत्तरदायित्व के अनुरूप अधिकार भी कर्मचारियों को सौंपे जाने चाहिए।

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