Ek sheetal pay par vigyapan
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ग्रीष्म ऋतु में ऐसे व्यक्ति जो प्रतिदिन मद्यपान करते हैं, वे अल्पमात्रा में मद्यपान करें या अल्प मद्य में अधिक मात्रा जल मिलाकर लें, अधिक लाभप्रद यह है कि मद्यपान बिलकुल न करें। इसके अतिरिक्त इस ऋतु में अधिक चटपटे, खट्टे पदार्थों का सेवन न करें एवं अत्यधिक शारीरिक श्रम एवं व्यायाम न करें।
इस ऋतु में भोजन के प्रति रुचि कम होती है, अत्यधिक तापमान एवं पसीने से शरीर के जलीय अंश की पूर्ति हेतु यथा आवश्यक अधिक पानी एवं फलों के रसों का प्रयोग करना चाहिए। साथ ही शर्बत या फलों से बनने वाले पने का प्रयोग करना हितकर होता है। आयुर्वेद में इस तरह के शीतल पेय को पानक भी कहा जाता है। इसमें पना बनाने की विधियां दी गई हैं, जो औषध गुणों के साथ-साथ गर्मियों में होने वाली जलन, ताप एवं लू, भूख की कमी आदि को दूर करते हैं एवं शरीर की थकावट को दूर करते हैं।