Ek the raja bhoj summary in hindi
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I don't know this question sorry friend
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राजा भोज परमार जिनसे बडा राजपूत क्षत्रिय राजा पिछले एक हजार वर्षो में नहीं हुआ । राजा भोज का जन्म मध्य प्रदेश के मालवा राज्य की एतिहासिक नगरी उज्जैन में हुआ । उनके पिता का नाम सिंधुराज था । राजा भोज बचपन से ही विद्वान थे उन्होंने महज 8 वर्ष की उम्र में संपूर्ण वेद पुराण का ज्ञान प्राप्त कर लिया था । राजा भोज जब 15 वर्ष के थे तब उन्हें मालवा का राजा बनाया गया राजा भोज जब सिंहासन पर बैठे तब उन्होंने पुरे देश का मानचित्र देखा और यह भी देखा की देश 57 भागों में बंटा हुआ था उस समय राजा भोज ने अंखड भारत को एक करने का बिडा उठाया राजा भोज ने भारतवर्ष के सभी राजाओं को संदेश भेजा की सभी देशवासियों को एक हो कर देश को बचाना ही होगा |
तब कई राजाओं ने राजा भोज का विरोध किया तब राजा भोज ने देश धर्म की रक्षा के लिए तलवार उठाई और तब जन्म हुआ इतिहास के सबसे बडे योद्धा राजा भोज ।
राजा भोज ने अपने जीवन में हिंदुत्व की रक्षा के लिए 5 हजार से भी ज्यादा युध्द लडे आज तक किसी ने इतने युद्ध नहीं लडे ।
राजा भोज ने सन् 1000 ई. से 1055 ई. तक राज्य किया। इनकी विद्वता के कारण जनमानस में एक कहावत प्रचलित हुई कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तैली.....
राजा भोज बहुत बड़े वीर, प्रतापी, पंडित और गुणग्राही थे। इन्होंने अनेक देशों पर विजय प्राप्त की थी और कई विषयों के अनेक ग्रंथों का निर्माण किया था। ये बहुत अच्छे कवि, दार्शनिक और ज्योतिषी थे। सरस्वतीकंठाभरण, शृंगारमंजरी, चंपूरामायण, चारुचर्या, तत्वप्रकाश, व्यवहारसमुच्चय आदि अनेक ग्रंथ इनके लिखे हुए बतलाए जाते हैं। इनकी सभा सदा बड़े बड़े पंडितों से सुशोभित रहती थी।
जब भोज जीवित थे तो कहा जाता था-
अद्य धारा सदाधारा सदालम्बा सरस्वती।
पण्डिता मण्डिताः सर्वे भोजराजे भुवि स्थिते॥
(आज जब भोजराज धरती पर स्थित हैं तो धारा नगरी सदाधारा (अच्छे आधार वाली) है; सरस्वती को सदा आलम्ब मिला हुआ है; सभी पंडित आदृत हैं।)
जब उनका देहान्त हुआ तो कहा गया -
अद्य धारा निराधारा निरालंबा सरस्वती।
पण्डिताः खण्डिताः: सर्वे भोजराजे दिवं गते ॥
(आज भोजराज के दिवंगत हो जाने से धारा नगरी निराधार हो गयी है ; सरस्वती बिना आलम्ब की हो गयी हैं और सभी पंडित खंडित हैं।)
नोट: राजा भोज ने कभी किसी बेकसूर को नही मारा वे हर युद्ध से पहले उस राज्य के राजा को संदेश भेजते थे ।