Hindi, asked by Arex7010, 1 year ago

Ek vivek dimag ka Aur Rk Dil ka essay in hindi for 600 words

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Answered by kashyap36
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विवेक' ऐसी भावना है, जो हमें सही गलत की पहचान करवाता है और गलत मार्ग पर बढ़ने से रोकता है। विवेक का संबंध दिल और दिमाग से नहीं है। हमारा निर्णय दिल और दिमाग से लिया हो सकता है। प्रायः लोग विवेक का प्रयोग अपने स्वार्थों के लिए करते हैं। जब हम अपने स्वार्थों का उपयोग करने के लिए किसी की सहायता करते हैं, तो वह विवेक दिमाग से लिए गए निर्णय पर आधारित होता है। इसके विपरीत जब हम दूसरे की सहायता के लिए अपने विवेक का प्रयोग करते हैं, तो वह निर्णय दिल से लिया गया होता है।

दिल और दिमाग भले ही शरीर के दो अलग अलग स्थान पर रहते हो। मगर दिल और दिमाग का विवेक हमारे बहुत काम आता है। दिल और दिमाग एक दूसरे के पूरक हैं। दिल को हम दिमाग से अलग करके कुछ सोच ही नहीं सकते हैं।

किसी फैसले को लेने के लिए हमने जिस माध्यम का इस्तेमाल किया उसमें दिल सबसे पहले है । दिमाग़ अपनी राय देता है और विवेक उसे तोलकर सही गलत बताता है। परन्तु दिल कैसे माने उसकी बात ।अगर दिमाग़ और विवेक की बात दिल ले तो झगड़ा क्या, कुछ भी तो नहीं । इसमें एक बारीक़ बात छुपी है जिसे हम हमेशा नजरअंदाज करते है वह है करने और न करने का फैसला

एक उदाहरण के अनुसार ....जैसे हमारे सामने रसगुल्ला रखा गया,दिल कहता है खा, दिमाग़ ने समझाया दिल को कि नहीं । दिल दिमाग़ पर भारी है । अब दिमाग़ ने कहा , चलो एक खा लो । दिल फिर कहता है कि एक से क्या होगा, दो खा परन्तु इसी बीच हमारा विवेक कहता है नहीं ये ठीक नहीं, मत खा मधुमेह हो जायेगा ।

मेरा दिल कहता है कि यह सही नहीं है” या “आप जो कह रहे हैं वह मैं नहीं कर सकता। मेरे अंदर की आवाज़ मुझसे कह रही है कि यह काम गलत है।” क्या आपने कभी ऐसा कहा है? यह आपके विवेक की “आवाज़” है, वह अंदरूनी एहसास जो सही-गलत की पहचान करने में आपकी मदद करता है और यही एक इंसान को दोषी करार देता है या उसे बेकसूर ठहराता है। जी हाँ, हर इंसान में विवेक पैदाइशी होता है।

हालाँकि इंसान परमेश्‍वर से दूर है, फिर भी आम तौर पर उसमें सही-गलत में फर्क करने की थोड़ी-बहुत काबिलीयत अभी-भी है।

जब हमें कोई चुनाव करना होता है या सही-गलत के बारे में कोई फैसला करना होता है, तब भी हमारा विवेक हमें खबरदार करता और सही राह दिखाता है। अगर हम अपने विवेक की मदद चाहते हैं तो हमें उसकी बात माननी चाहिए। अपना विवेक शुद्ध बनाए रखना इतना आसान नहीं है, इसके लिए लगातार मेहनत करने की ज़रूरत होती है।

एक विवेक दिमाग का होता है और एक विवेक दिल का होता है। यह कथन सत्य है। हम एक बात को यदि दिल के अनुसार सोचें फिर दिमाग के अनुसार सोचें, तो दोनों के निर्णय अलग-अलग होंगे। इसका मतलब है दिल उन बातों पर अपना विवेक का पूर्ण इस्तेमाल नहीं करता, जो उसे सोचना पड़ता है। दिमाग इन बातों पर अपने विवेक का पूर्ण इस्तेमाल करता है और `किन्तु, परन्तु` अधिक सोचता है। इस तरह दोनों के नतीजे अलग-अलग आते हैं।

इसके इलावा आपको जीवन से जुड़े किसी भी फ़ैसले के लिए दिल और दिमाग़ दोनो से निर्णय लेना चाहिए।हमें ये याद रखना है कि दिल के फ़ैसले को दिमाग़ पर , और दिमाग़ के फ़ैसले को दिल पर हावी नहीं होने देना है।फ़ैसले ऐसे ना हो जिससे आपका या किसी दिल दुखे।

Answered by Anonymous
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"सिर का ज्ञान और दिल का ज्ञान है।"

उपरोक्त बयान चार्ल्स डिकेंस सर ने कहा है।

उन्होंने अपने बहुत प्रसिद्ध उपन्यास में यह कहा।

उपन्यास का नाम हार्ड टाइम्स है।

खैर, दोनों बुद्धि अपने महत्व रखते हैं।
दोनों अलग-अलग परिस्थितियों में उपयोग किया जाता है। दोनों अलग-अलग तरीके से उपयोग किया जाता है। दोनों को एक व्यक्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

तो, हम यह नहीं कह सकते कि कौन सा बेहतर है।

दोनों सबसे अच्छे हैं क्योंकि दोनों अलग हैं, दोनों अलग-अलग परिस्थितियों में उपयोग किए जाते हैं, दोनों अलग-अलग तरीके से उपयोग किए जाते हैं।

यहां सिर का ज्ञान दिमाग के ज्ञान के लिए खड़ा है और दिल की बुद्धि आमतौर पर कहा जाता है कि ज्ञान को भावनाओं पर नियंत्रण या जीत के लिए उपयोग किया जाता है।

भावनाओं के दौरान दिल की बुद्धि का प्रयोग किया जाता है।
भावनाएं सिर्फ हमारी भावनाएं हैं और कुछ भी नहीं। लेकिन कभी-कभी भावनाओं को संभालना बहुत कठिन हो गया। तो, दिल की बुद्धि की आवश्यकता है।

दिल की बुद्धि को बनाए रखना और उसका उपयोग करना बहुत मुश्किल है।
आवश्यक समय पर इसका उपयोग करना बहुत मुश्किल है।
लेकिन जब कोई व्यक्ति इसे सही तरीके से उपयोग करना सीखता है तो वह अपने जीवन में अपने सभी सपनों को प्राप्त करने में सक्षम होगा।

जबकि सिर का ज्ञान दिमाग से संबंधित है, इसलिए इसका उपयोग लगभग हर स्थिति में किया जाता है। यह हमारे दैनिक जीवन की प्रत्येक स्थिति में हमारे द्वारा उपयोग किया जाने वाला ज्ञान है।

कभी-कभी इसे आवश्यक समय पर उचित रूप से उपयोग करना मुश्किल हो जाता है लेकिन उस दिन जब आप इसे सही तरीके से उपयोग करने में सक्षम होंगे, तो आप पूर्णता का आदमी बन जाएंगे।

लेकिन इसमें समय लगता है, क्योंकि इसके लिए अनुभव बहुत जरूरी है।

इसलिए, हमने देखा कि प्रत्येक परिस्थिति में हमारे लिए अपना महत्व है।

वह व्यक्ति जिसके पास दोनों हैं और वह जानता था कि विभिन्न स्थितियों में इसका उपयोग कैसे किया जाए, इसे "बुद्धिमान" माना जाता है।

उपर्युक्त से हम यह नहीं कह सकते कि कौन सा बेहतर है लेकिन हम कह सकते हैं कि वे दोनों सबसे अच्छे हैं।
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