Ek Vivek Dimag ka hota hai ek Vivek Dil Ka Hota Hai sad by Charles Dickens topic par nibandh in 600 words in Hindi
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दिल वह स्थान है जहां भगवान की आत्मा बोलती हैं, जहां मन सोचने और कार्रवाई करने का स्थान होता है।यह परिस्थितियों के अनुसार भिन्न होता है। कभी-कभी आपको अपने दिल और कभी-कभी अपने दिमाग में सुनने की ज़रूरत होती है। लेकिन एक आराम से मन है और निर्णय लेते हैं।
जब पारस्परिक संबंध की बात आती है, तो वाणिज्यिक या आधिकारिक निर्णय लेने आदि के लिए मस्तिष्क का उपयोग करके अपने दिल और बौद्धिक निर्णय का उपयोग करें जहां आपका व्यवसाय है।
दिल और दिमाग दोनों अहम भूमिका निभाते हैं निर्णय लेने में। सुनिए दोनों की लेकिन जो भी करें दिल से करें। दिल की बातें दिल ही जाने।
दिल अच्छा है इसलिए दिल पर इतने गाने है। लोग दिल को महत्व भी ज्यादा देते हैं।
पता है हम सभी जीवों से अलग क्यों हैं? आखिर क्यों हम प्रगति कर रहे ? आखिर क्या कारण है , जिससे हम प्रगतिशील बनते जा रहे हैं? इन सभी प्रश्नों का उत्तर केवल एक ही है , और वह है कि मनुष्य का दिमाग । क्योंकि हम सभी जानते हैं दिल तो सभी जीवों के पास होता है किंतु दिमाग यानि विवेक हमारे पास विरासत के रूप में मिलती चली आ रही है।
ऐसा बिल्कुल नही है कि बगैर दिमाग के जीवन यापन करना संभव न हो । आपको ऐसे कई जीवों के उदाहरण मिलेंगे जो सदियों से जीवन यापन तो कर ही रहे हैं तथापि उनका विकास भी हुआ है। अतः यह कहने में मुझे कोइ अतिश्योक्ति नही होगी कि दिमाग और दिल जीवन के दो अलग -अलग पहलू हैं। दोनों के अपने - अपने मायने हैं।
अब बात करें निबंद के मुख्य वाक्य " एक विवेक दिल का होता है " । ये वाक्य कुछ अजीब -सा लग रहा है न ? किन्तु ये सर्वथा सत्य है । इसे समझने हेतु मुझे कबीर दास के वो दोहे को अवश्य अंकित करना चाहिए।
"पोथी पढ़ी -पढ़ी जग मुआ पंडित भया न कोइ ।
ढाई अक्षर प्रेम के पढ़ै सो पंडित होए ।। "
इस दोहे यह स्पष्ट है कि प्रेम यानि दिल द्वारा महसुस की गयी मधुर संबंध ज्ञान के पराकाष्ठा के अधिक सर्वोपरि है। इसिलए तो कबीर दास जी ने कहा चाहे अनेक पुस्तकों का अध्ययन क्यों न कर लो लेकिन पंडित (संपूर्ण ज्ञानी) नही बन पाओगे जब तक प्रेम को अच्छी तरह समझ न लो। वैसे भी आपने अनेक प्रेम प्रसंग फ़िल्म देखे होंगे। इसमें आपने ये तो अवश्य देखा होगा प्रेम का हारा व्यक्ति दिमाग से भी पंगु हो जाता है । इससे यह तो स्पष्ठ है कि दिल का अपना एक विवेक है जिससे वह कभी - कभी दिमाग पर हावी हो जाती है।
अब दूसरा वाक्य " दिमाग का अपना विवेक है " इस वाक्य को समझने या समझाने की तनिक भी आवश्यकता नही है। यह सभी जानते है कि उनका मानस पटल पर जो भी वजूद है उनके दिमाग के विवेक के कारण ही तो है। विवेकी मानव सर्वथा अव्वल होते हैं वे अपने ज्ञान के बल पर जग जीत सकते हैं । दिमाग के प्रबल उपयोगकर्ता तो अपने दिल पर भी धाक जमा लेते हैं । यह कहने में तनिक अतिशयोक्ति नही होगी की दिमाग दिल से कुछ मायनो में बेहतर है।
इन सभी चीजों से परे जिन्दगी है । यह न तो केवल दिमाग से जिया जा सकता है न ही दिल से । जिंदगी जीने के लिए तो दिल और दिमाग का समन्वय होना अत्यंत आवश्यक है। दिल हमें रिश्ते मजबूत करने का गुर सिखाता है तो दिमाग रिश्ते बनाये रखने के लिए अन्योन्य सुविधा प्रदान करता है।
अतः एक विवेक दिल का होता है तो एक विवेक दिमाग का।