एक आदमी गब्बारे औचकर जीवनयापन करता था, वह गांव के आस-पास लगने वाली हानों
जा और समचारे क्षेचता बच्चों को लभाने के लिए वह तरह-तरह के गुब्बार रखता....लालपी
हरे गोरे और जब कभी उसे लगता कि बिको कम हो रही है वह झट से एक गुब्बारा हवा में
और योगा जिसे उजता देखकर बच्चे खश हो जाते और गुब्बारे खरीदने के लिए पहुँच जाते।
इसी तरह एक दिन वह हार में राबारे बेच रहा था और बिक्री बढ़ाने के लिए बीच-बीच में गब्बारे
जा रहा था। पास ही खड़ा एक छोटा बच्चा यह सब बड़ी जिज्ञासा के साथ देख रहा था। इस बार
जैसे ही गुरुवारे वाले ने एक सफेद गुब्बारा उड़ाया। वह तुरंत उसके पास पहुँचा और मासूमियत
से बोला "अगर आप ये काला बाला गुब्बारा छोड़ेगे....तो क्या वो भी ऊपर जाएगा?"
गुरुधारे वाले ने घोहे अचरज के साथ उसे देखा और बोला, पहा बिल्कुल जाएगा, बेटे! गुब्बारे
का रूपर जाना इस बात पर नहीं निर्भर करता है कि वो किस रंग का है, बल्कि इस पर निर्भर
करता है कि उसके अंदर क्या है।"
मित्रो लोक इसी तरह हम इनसानों के लिए भी ये बात लागू होती है, कोई अपने जीवन में क्या ।
प्राप्त करेगा. यह उसके बाहरी रंग-रूप पर नहीं निर्भर करता है। यह इस बात पर निर्भर करता
है कि उसके अंदर क्या है, अंततः हमारी विचारधारा क्या है?
(क) आदमी गुब्बारे क्यों बेचता था?
(ख) एक दिन गुब्बारे बेचते और उड़ाते हुए क्या हुआ?
(ग) क्या छोटे बच्चे द्वारा पूछा गया प्रश्न कुछ सोचने पर विवश करता है? यदि हाँ
तो क्या?
(घ) जीवन में कुछ प्राप्त करना किस बात पर निर्भर करता है?
(5) गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
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bhaiya itna bda question bhi koi puchta h kya
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1.जीवनयापन करता
2.एक दिन वह हार में राबारे बेच रहा था और बिक्री बढ़ाने के लिए बीच-बीच में गब्बारे
जा रहा था।
3.
4.हम इनसानों के लिए भी ये बात लागू होती है, कोई अपने जीवन में क्या ।
प्राप्त करेगा. यह उसके बाहरी रंग-रूप पर नहीं निर्भर करता है। यह इस बात पर निर्भर करता
है कि उसके अंदर क्या है, अंततः हमारी विचारधारा क्या है?
5.jeevan ka mahatwa
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