एक आदर्श विधालय कैसा होना चाहिए? व कक्षाएँ कैसी होनी चाहिए।
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नवाचारों से बढ़ा नामांकन
शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए जो नवाचार राजस्थान में अपनाए गए, उनके कारण सरकारी विद्यालयों में विद्यार्थियों का नामांकन तेजी से बढ़ा है, बाकायदा इसके लिए विशेष अभियान चलाया गया।
विद्यालयों में आधारभूत सुविधाओं का विकास करने के साथ ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सुनिश्चित किया गया। परिणाम यह हुआ कि 15 लाख के करीब नए विद्यार्थियों का सरकारी विद्यालयों में नामांकन हुआ।
आदर्श व उत्कृष्ट विद्यालय
शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए राज्य में पंचायत स्तर पर 9 हजार 895 आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालयों में पहली से 12वीं तक की शिक्षा एक ही स्कूल में दिए जाने की पहल की गई है। इसके साथ ही, 9 हजार 610 उत्कृष्ट विद्यालयों में कक्षा 1 से 8 तक की पढ़ाई एक ही स्कूल में अब कराई जा रही है।
विवेकानन्द राजकीय मॉडल स्कूल
शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ी पंचायत समितियों में स्वामी विवेकानन्द राजकीय मॉडल स्कूलों की स्थापना की गई है। सीबीएसई पैटर्न के इन विद्यालयों में अच्छी प्रयोगशालाएं, अच्छे क्लास रूम्स और खेल मैदान हैं। इससे विद्यार्थियों को अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई की सुविधा मिल रही है ताकि वह प्रतिस्पर्धा में किसी से पीछे नहीं रहें।
ये सुविधाएं हैं आदर्श विद्यालयों में
इन विद्यालयों में पर्याप्त संख्या में शिक्षक, आधारभूत सुविधाएं जैसे कक्षा कक्ष, छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय, चार दीवारी, प्रयोगशाला, कंप्यूटर, इंटरनेट आदि सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
विद्यालयों में भौतिक संसाधनों का विकास करते हुए 250 करोड़ की अतिरिक्त राशि राज्य सरकार ने स्वीकृत कर राज्य का अंश बढ़ाया है। उद्देश्य यही है कि प्रदेश में शैक्षिक उन्नयन को सभी स्तरों पर सुनिश्चित किया जा सके।
नवाचारों से सुधार और सकारात्मक बदलाव
हर ग्राम पंचायत में एक उच्च माध्यमिक विद्यालय खुले, इसके लिए 5 हजार माध्यमिक विद्यालयों को उच्च माध्यमिक विद्यालयों में क्रमोन्नत किया है। इसी का परिणाम है कि वर्ष 2013 तक जहां प्रदेश में मात्र 4435 राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय थे, वह बढ़कर अब 9435 हो गए हैं।
यही नहीं बोर्ड परीक्षा परिणामों में भी तेजी से सुधार हुआ है। कक्षा 10 में परीक्षा परिणाम 66 से बढ़कर 73 प्रतिशत हो गया और कक्षा 12 में 78 से बढ़कर यह 88 प्रतिशत हो गया है, माने राजस्थान में लम्बे अन्तराल के बाद राजकीय विद्यालयों का परीक्षा परिणाम निजी विद्यालयों से कहीं बेहतर रहा है। स्पष्ट है शिक्षा क्षेत्र में सुधार और सकारात्मक बदलाव के परिणाम सामने आने लगे हैं।
माध्यमिक विद्यालयों में रिक्त पद 60% से घटकर 25% रह गया है।
शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए जो नवाचार राजस्थान में अपनाए गए, उनके कारण सरकारी विद्यालयों में विद्यार्थियों का नामांकन तेजी से बढ़ा है, बाकायदा इसके लिए विशेष अभियान चलाया गया।
विद्यालयों में आधारभूत सुविधाओं का विकास करने के साथ ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सुनिश्चित किया गया। परिणाम यह हुआ कि 15 लाख के करीब नए विद्यार्थियों का सरकारी विद्यालयों में नामांकन हुआ।
आदर्श व उत्कृष्ट विद्यालय
शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए राज्य में पंचायत स्तर पर 9 हजार 895 आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालयों में पहली से 12वीं तक की शिक्षा एक ही स्कूल में दिए जाने की पहल की गई है। इसके साथ ही, 9 हजार 610 उत्कृष्ट विद्यालयों में कक्षा 1 से 8 तक की पढ़ाई एक ही स्कूल में अब कराई जा रही है।
विवेकानन्द राजकीय मॉडल स्कूल
शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ी पंचायत समितियों में स्वामी विवेकानन्द राजकीय मॉडल स्कूलों की स्थापना की गई है। सीबीएसई पैटर्न के इन विद्यालयों में अच्छी प्रयोगशालाएं, अच्छे क्लास रूम्स और खेल मैदान हैं। इससे विद्यार्थियों को अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई की सुविधा मिल रही है ताकि वह प्रतिस्पर्धा में किसी से पीछे नहीं रहें।
ये सुविधाएं हैं आदर्श विद्यालयों में
इन विद्यालयों में पर्याप्त संख्या में शिक्षक, आधारभूत सुविधाएं जैसे कक्षा कक्ष, छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय, चार दीवारी, प्रयोगशाला, कंप्यूटर, इंटरनेट आदि सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
विद्यालयों में भौतिक संसाधनों का विकास करते हुए 250 करोड़ की अतिरिक्त राशि राज्य सरकार ने स्वीकृत कर राज्य का अंश बढ़ाया है। उद्देश्य यही है कि प्रदेश में शैक्षिक उन्नयन को सभी स्तरों पर सुनिश्चित किया जा सके।
नवाचारों से सुधार और सकारात्मक बदलाव
हर ग्राम पंचायत में एक उच्च माध्यमिक विद्यालय खुले, इसके लिए 5 हजार माध्यमिक विद्यालयों को उच्च माध्यमिक विद्यालयों में क्रमोन्नत किया है। इसी का परिणाम है कि वर्ष 2013 तक जहां प्रदेश में मात्र 4435 राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय थे, वह बढ़कर अब 9435 हो गए हैं।
यही नहीं बोर्ड परीक्षा परिणामों में भी तेजी से सुधार हुआ है। कक्षा 10 में परीक्षा परिणाम 66 से बढ़कर 73 प्रतिशत हो गया और कक्षा 12 में 78 से बढ़कर यह 88 प्रतिशत हो गया है, माने राजस्थान में लम्बे अन्तराल के बाद राजकीय विद्यालयों का परीक्षा परिणाम निजी विद्यालयों से कहीं बेहतर रहा है। स्पष्ट है शिक्षा क्षेत्र में सुधार और सकारात्मक बदलाव के परिणाम सामने आने लगे हैं।
माध्यमिक विद्यालयों में रिक्त पद 60% से घटकर 25% रह गया है।
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एक आदर्श विधालय मैं बहुत सारी बाते महत्वपूर्ण होनी चाहिए तभी वह आदर्श कहलाता है जैसे
आदर्श विधालय मैं बालक और बालिकाओं के लिए अलग अलग शोचालय की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि किसी को परेशानी ना हो.
आदर्श विधालय मैं पुस्तकालय / मीडिया सेंटर प्रिंट और ऑनलाइन सामग्री होनी चाहिए.
वहाँ का वातावरण अनुषाशन पूर्ण होना चाहिये.
स्कूल योग्यता पर आधारित और शिक्षा पर आधारित होना चाहिये जहां छात्र खुद को विषयों के स्वामी साबित कर सके.
एक विशाल खेल का मैदान, हवादार कक्षाओं, बच्चों के खेलने के लिए मैदान होना चाहिए, वंहा बच्चे खेल सके.
एक आदर्श विधालय मैं बड़ी कक्षाएँ होनी चाहिए.
एक आदर्श विधालय में प्रयोगशाला भी होनी चाहिए जंहा बच्चे साइंस क प्रैक्टिकल कर सके.
कंप्यूटर और इंटरनेट की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि बचे और नई बाते सिख सके.
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