एक अच्छे संभाषणकर्ता की विशेषताएँ लिखिए।
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व्यक्ति की मानसिक अवस्थाओं का सम्मिलित योग और जन्म के समय और व्यक्ति के पिछले पूरे जीवनकाल में प्राप्ति की प्रवृत्तियों, प्रतिभा, गुणों आदि का योग है। व्यक्तित्व व्यक्ति के जीवन के सभी पहलुओं को दर्शाता है।
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उत्तर;मनुष्य अपनी इच्छाओं और भावनाओं को व्यक्त करना चाहता है। संभाषण के द्वारा उसके व्यक्तिगत और सामाजिक व्यवहार संचालित होते रहते हैं। कभी वह दूसरों को सलाह देने के लिए तो कभी अपने कार्य की सिद्धि के लिए अथवा कभी अपने मन की बातों को अभिव्यक्त करने के लिए संभाषण का प्रयोग करता है।
विशेषताएं:संभाषण के लिए व्यक्ति का विवेकशील होना भी आवश्यक है। यदि कोई व्यक्ति अपनी स्वार्थसिद्धि के लिए दूसरे व्यक्ति से संभाषण कायम करता है तो थोड़े ही दिनों में दूसरा व्यक्ति उससे किनारा करने लग जाएगा। संभाषण करते समय श्रोता के सामाजिक और बौद्धिक स्तर का ध्यान रखना वक्ता के लिए अनिवार्य है। प्रभावी और स्पष्ट कथन तथा वक्ता-श्रोता का प्रत्यक्ष संवाद संभाषण की प्रमुख कसौटियों हैं।
लेकिन व्यक्तिगत संभाषण में व्यक्ति की रुचि और स्वभाव का ध्यान रखना पड़ता है।
संभाषण व्यक्तिगत भी होता है और समष्टिगत भी। समष्टिगत संभाषण में व्यक्ति की सहमति अथवा असहमति का कोई महत्व नहीं रहता। शिक्षक या किसी नेता का संभाषण यदि एक-दो की समझ में नहीं आता तो भाषण को रोका नहीं जाता। लेकिन व्यक्तिगत संभाषण में व्यक्ति की रुचि और स्वभाव का ध्यान रखना पड़ता है। व्यक्तिगत संभाषण में दूसरे की बात सुनने, समझने और बोलने की प्रक्रिया कार्य करती है
विशेषताएं:संभाषण के लिए व्यक्ति का विवेकशील होना भी आवश्यक है। यदि कोई व्यक्ति अपनी स्वार्थसिद्धि के लिए दूसरे व्यक्ति से संभाषण कायम करता है तो थोड़े ही दिनों में दूसरा व्यक्ति उससे किनारा करने लग जाएगा। संभाषण करते समय श्रोता के सामाजिक और बौद्धिक स्तर का ध्यान रखना वक्ता के लिए अनिवार्य है। प्रभावी और स्पष्ट कथन तथा वक्ता-श्रोता का प्रत्यक्ष संवाद संभाषण की प्रमुख कसौटियों हैं।
लेकिन व्यक्तिगत संभाषण में व्यक्ति की रुचि और स्वभाव का ध्यान रखना पड़ता है।
संभाषण व्यक्तिगत भी होता है और समष्टिगत भी। समष्टिगत संभाषण में व्यक्ति की सहमति अथवा असहमति का कोई महत्व नहीं रहता। शिक्षक या किसी नेता का संभाषण यदि एक-दो की समझ में नहीं आता तो भाषण को रोका नहीं जाता। लेकिन व्यक्तिगत संभाषण में व्यक्ति की रुचि और स्वभाव का ध्यान रखना पड़ता है। व्यक्तिगत संभाषण में दूसरे की बात सुनने, समझने और बोलने की प्रक्रिया कार्य करती है
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