एक अपाहिज लड़की की आत्मकथा
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मेरा नाम सोनल है। मैं आप सबकी तरह एक इंसान हूं। मैं खुदको आप लोगों से भिन्न समझती ही नहीं। मगर फिर भी बहुत बार टूट चुकी हूं। मुझे समाज के लोगों ने कटु शब्द कहकर मेरे कान को खट्टे कर दिए हैं।
मेरा दोष क्या है मुझे पता नहीं मैं अपाहिज हूं शायद इसलिए कोई मुझसे प्यार नहीं करता। मैं अपाहिज हो सकती हूं। मगर मैं अपने हर काम को स्वयं करती हूं।
हां, मैं चलने के लिए व्हील चेयर का सहारा लेती हूं। मगर इसका अर्थ यह बिल्कुल भी नहीं हूं कि मैं आपसे भिन्न हूं।
अगर आप मुझे स्वीकार नहीं कर सकते तो मत कीजिए मगर कम से कम मुझे बुरा तो मत कहिए। मैं जैसी भी हूं मगर मैं आप जैसी नहीं हूं। कम से कम किसी का मजाक तो नहीं बनाती।
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