Hindi, asked by rashmi9224599030, 7 months ago

एक बड़ा जमींदार-बहुत से नोकर-चाकर-खेती की आमदनी का न बढ़ना-मित्र की सलाह-सुबह खेत की सैर करो-कुछ नोकर गायब-कुछ चीजें गायब-आँखे खुलना-खुद काम मे लग जाना-रोज देखभाल-सभी मे उत्साह-आमदनी बढ़ना-सीख​

Answers

Answered by angelrawat0808
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Answer:

एक दिन एक जमीदारी ने यह देखा कि उनके खेतों से आम दानी दिन-पर-दिन घटती जा रही है। परंतु और भी चिंता की विषय यह थी कि उनके जमीनों पर किसानों की कोई कमी नहीं थी। जमीदार जी परेशान हो गए और सोचने लगे यह समस्या का कैसे समाधान निकाला जाए। उन्होंने अपने मंत्रियों को इस मामले का असली जड़ ढूंढने को भेजा। दिन घोड़े की तरह दौड़ने लगा परंतु कोई भी उपयुक्त कारण ना मिली। एक दिन जमीदार जी ने अपने ही मन में सोचते हुए बगीचे में सैर कर रहे थे कि उनके दोस्त ने उन्हें देखा और तुरंत मिलने आए। बातचीत होते होते दिल से शाम कब हो गई पता ना चला, इसी बीच जमीदार जी ने बातों-बातों में उनके दोस्त को अपनी खेती को लेकर चिंता बताया। दोस्त ने सोचते हुए एक सलाह दुविधाय दिया, "अच्छा तो सुनो, तुम ना सुबह खेत की सैर किया करो।" ऐसा बताते हुए वह अपने रास्ते निकल पड़े अगले दिन सुबह जमीदार जी दोस्त की सलाह मानते हुए अपने खेतों की सैर करने निकले। वहां पर उन्होंने एक आश्चर्य दृश्य देखा: जिन किसानों को उन्होंने सुबह को काम करने रखा है। उनमें से कई नौकर गायब थे और तो और कुछ चीजें भी गायब थी यह सच जमीदार को यह सच ज़मीदार को प्रकट में डाल दिया। वह निराश होने लगे और चिंता से मुरझाने लगे परंतु उनकी पत्नी को यह मंजूर ना थी। "आप ना किसी और पर भरोसा करना छोड़ दो। खुद खेती में लग जाओ।" जमीदार जी ने इस बात को गौर से समझा और उन्होंने प्रज्ञा से इस सलाह को मानी। अगले दिन से वह खुद अपने खेतों में काम करने लगे। उनके निष्ठावान कुछ किसानों ने उनकी मदद की। उनके कठोर प्रयास को देखते हुए सभी नौकरों में स्वत: स्फूर्त उत्साह आई। उससे जमीदार ने अपने खेतों से बहुत लाभ किया। क्योंकि उनके अपने प्रयास से आमदनी बढ़ गई।

सीख: हमेशा अपना काम खुद करो, किसी और के ऊपर पूरा भरोसा मत करो।

Explanation:

Answered by shivansoni1000
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एक दिन एक जमीदारी ने यह देखा कि उनके खेतों से आम दानी दिन-पर-दिन घटती जा रही है। परंतु और भी चिंता की विषय यह थी कि उनके जमीनों पर किसानों की कोई कमी नहीं थी। जमीदार जी परेशान हो गए और सोचने लगे यह समस्या का कैसे समाधान निकाला जाए। उन्होंने अपने मंत्रियों को इस मामले का असली जड़ ढूंढने को भेजा। दिन घोड़े की तरह दौड़ने लगा परंतु कोई भी उपयुक्त कारण ना मिली। एक दिन जमीदार जी ने अपने ही मन में सोचते हुए बगीचे में सैर कर रहे थे कि उनके दोस्त ने उन्हें देखा और तुरंत मिलने आए। बातचीत होते होते दिल से शाम कब हो गई पता ना चला, इसी बीच जमीदार जी ने बातों-बातों में उनके दोस्त को अपनी खेती को लेकर चिंता बताया। दोस्त ने सोचते हुए एक सलाह दुविधाय दिया, "अच्छा तो सुनो, तुम ना सुबह खेत की सैर किया करो।" ऐसा बताते हुए वह अपने रास्ते निकल पड़े अगले दिन सुबह जमीदार जी दोस्त की सलाह मानते हुए अपने खेतों की सैर करने निकले। वहां पर उन्होंने एक आश्चर्य दृश्य देखा: जिन किसानों को उन्होंने सुबह को काम करने रखा है। उनमें से कई नौकर गायब थे और तो और कुछ जें भी गायब थी यह सच जमीदार को यह सच ज़मीदार को प्रकट में डाल दिया। वह निराश होने लगे और चिंता से मुरझाने लगे परंतु उनकी पत्नी को यह मंजूर ना थी। "आप ना किसी और पर भरोसा करना छोड़ दो। खुद खेती में लग जाओ।" जमीदार जी ने इस बात को गौर से समझा और उन्होंने प्रज्ञा से इस सलाह को मानी। अगले दिन से वह खुद अपने खेतों में काम करने लगे। उनके निष्ठावान कुछ किसानों ने उनकी मदद की। उनके कठोर प्रयास को देखते हुए सभी नौकरों में स्वत: स्फूर्त उत्साह आई। उससे जमीदार ने अपने खेतों से बहुत लाभ किया। क्योंकि उनके अपने प्रयास से आमदनी बढ़ गई।

Explanation:

सीख: हमेशा अपना काम खुद करो, किसी और के ऊपर पूरा भरोसा मत करो।

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