Physics, asked by jangidsunil943, 6 months ago

एक बैल जिसके संग के आधार ( Base ) पर फूल गोभी के आकार की ऊतकीय वृद्धि पाई गई है तो सम्बन्धित बीमारी का नाम , कारण , लक्षण तथा उपचार लिखिए ।​

Answers

Answered by ranurai58
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सींग की मुख्य बीमारियाँ एवं होने वाले घाव :

1. सींग का कैंसर-

यह बीमारी भारत समेत दुनिया के कुछ अन्य देशों जैसे — सुमात्रा, ईराक और ब्राजील में पाई जाती है। यह बीमारी भैंसों की अपेक्षा गाय व बैलों में अधिक पाई जाती है। इसमें सींग के अंदर कैंसर का माँस भर जाता है और सींग नरम पड़ जाता है। इसके बाद वह कमजोर हो कर नीचे की तरफ लटक जाता है। पशु अत्याधिक दर्द महसूस करता है और उस सींग की तरफ सिर झुका कर रखता है। अन्य लक्षणों में पशु का सिर हिलाना, सींग को दीवार या खूंटे से रगड़ना, नाक में से रक्त-मिश्रित द्रव्य आना आदि शामिल हैं। कई बार सींग टूट कर नीचे गिर जाता है। इसके बाद घाव बन जाता है और उस पर मक्खियाँ बैठने लगती है। अंत में सींग के स्थान पर सड़ा हुआ कैंसर का माँस बच जाता है जिसमें कीड़े पड़ जाते हैं।

उपचार :

सर्वप्रथम सर्जरी द्वारा वह सींग व कैंसर का माँस जड़ से निकालवा देना चाहिए। इसके बाद घाव पर प्रतिदिन, बिटाडीन की पट्टी करके स्प्रे किया जाता है। कैंसर रोधी दवा Vincristine Sulphate एवं Anthimaline के बताए अनुसार लगवाई जाती हैं।

सावधानियाँ :

सींग के घाव पर दिन में 3–4 बार स्प्रे (Topicure) अवश्य करना चाहिए ताकि उसमें कीड़े न पड़े। कैंसर रोधी दवाईयों का पूरा कोर्स करवाना चाहिए। अन्यथा कैंसर का माँस फिर से बढ़ जाता है।

2. सींग का खोल/पोली उतरना :

मुख्य कारण :

(क) पशुओं की आपसी लड़ाई के दौरान।

(ख) सींग के पास खुजाने के लिए बेल में फंसना।

(ग) अन्य बीमारी के इलाज के दौरान कटघरे में सींग फँसने से।

उपचार :

(क) खोल उतरने के बाद बहुत अधिक खून निकलता है और पशु को बहुत अधिक दर्द होती है। खून रोकने के लिए Tincture Benzion की पट्टी करनी चाहिए तथा उस पर स्प्रे Topicure करना चाहिए।

(ख) जब खून बंद हो जाए उसके बाद घाव भरने तक बीटाडीन से पट्टी करके स्प्रे करना चाहिए।

(ग) इस दौरान पशु को 3–5 दिन तक दर्द के टीके अवष्य दिए जाने चाहिए।

3. सींग का टूटना :

कारण :

कई बार सींग में चोट लगने से सींग बीच से टूट जाता है।

उपचार :

(क) इस अवस्था में सर्जन को दिखाना चाहिए और संभव हो तो वह सींग जड़ से ही निकलवा देना चाहिए।

(ख) घाव की देखभाल सर्जन के बताए अनुसार ही करनी चाहिए और आवष्यक दवाइयाँ प्रतिदिन लगवानी चाहिए।

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