एक बालक और एक बालिका में दहेज प्रथा पर स्वाद लेखन
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एक बालक और एक बालिका में दहेज प्रथा पर सवांद लेखन
बालिका :-मेरे पिताजी आजकल बहुत ही चिंतित रहते हैं।
बालक:-क्यों? क्या हुआ है उनको।
बालिका:-चिंता मेरी।
बालक:- तुम्हारी कैसी चिंता।
बालिका:-नहीं तुम नहीं समझोगे मेरी शादी की चिंता।
बालक:-हां -हां -हां अरे मैं हूं ना। अब उनको सब बताने का समय आ गया है।
बालिका:-परंतु तुम्हारे माता-पिता को दहेज वाली बहू चाहिए और मेरे पिताजी के पास देने को धन नहीं है।
बालक:-हांँ जी कुछ तो सोचने की बात है।
बालिका:-देखो मेरे पिताजी ने मुझे पढ़ा लिखा कर काबिल बनाया है। इसलिए मेरा भी यही फैसला है कि मैं दहेज लेने वाले लड़के से शादी नहीं करूंगी।
बालक:-अरे मुझ पर भरोसा रखो मैं भी दहेज के खिलाफ हूं मैं भी शादी करूंगा तो दहेज नहीं लूंगा। दहेज प्रथा से मुझे बहुत चीड़ है।
बालिका:- परंतु तुम्हारे माता-पिता उनका क्या?
बालक :- अरे तुम फिकर मत करो मैं उन्हें समझा लूंगा कि दहेज प्रथा विनाशकारी और बहुत ही बुरी प्रथा है।
बालिका:- हां मुझे तुम पर पहले से ही भरोसा है तुम अपने माता-पिता को समझा लोगे।
बालक:- हांँ एकदम सही ।मैं समझा दूंगा।
बालिका:- हां यह सब अभी समाप्त नहीं होने वाला हम सब मिलकर इसे समाप्त करने का प्रयास करेंगे तभी यह कुप्रथा समाप्त हो पाएगी।
बालक:-देखो हम दोनों के विचार कितने मिलते-जुलते हैं हम दोनों ही दहेज प्रथा के खिलाफ हैं और इसे समाप्त करना चाहते हैं। अब हम दोनों की शादी तो होकर रहेगी। अब जब लड़का - लड़की राजी तो क्या करेगा काजी।
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