एक बिलली की आत्मकता
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पशु पक्षी मनुष्य के जीवन साथी हैं । गाय-भैंस, भेड़-बकरी से मनुष्य दूध प्राप्त करता है । कुत्तों से अपने खेत खलिहानों और घर की रखवाली करता है । तोता, कबूतर, खरगोश, बिल्ली को पालकर आनन्दित होता है । अपनी-अपनी रुचि और आवश्यकता के अनुसार लोग पशु-पक्षी पालते हैं ।
मैंने भी एक नन्ही, प्यारी-सी बिल्ली पाल रखी है । इस का रंग श्वेत एवं गेहुआं है । इसकी आंखे चमकदार और नीले रंग की हैं । मैं और मेरे घर वाले इसे प्यार से ‘रानी’ कहकर पुकारते हैं । रानी कहते ही वह मेरे पास दौड़ती चली आती है । मैं रानी को प्रतिदिन दूध, डबल रोटी और बिस्कुट खिलाता हूँ । इसे प्रतिदिन साबुन से स्नान कराता हूं ।
साधारण भारतीय जातिगत आधार पर बिल्ली को ब्राह्मणी मानते हैं । बिल्लियां शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार की होती हैं । मेरी बिल्ली रानी पूर्णतया शाकाहारी है । रानी बड़ी आज्ञाकारिणी है । वह घर में गंदगी नहीं फैलाती ।
नित्यकर्म के लिए मैं उसे बाहर ले जाता हूं । शाम को उसे लेकर मैं समीप के पार्क में चला जाता हूँ । मैं वहाँ उसके साथ खेलता हूँ । कभी दौड़ता हूँ, कभी कूदता हूँ । वह पूँछ हिलाकर और म्याऊँ-म्याऊँ करके अपनी प्ररान्नता प्रकट करती है ।
रानी घर में स्वतंत्रता पूर्वक घूमती फिरती है । परन्तु खाने की चीजें खराब नहीं करती । जैसे ही द्वार की घंटी बजती है, उसके कान खड़े हो जाते हैं । तुरन्त द्वार की ओर भाग जाती है मानों हमारा स्वागत कर रही हो । कभी-कभी वह किसी चूहे को मुंह में दबाकर बाहर भाग जाती है ।
कुत्ता बिल्ली का शत्रु होता है । पर रानी इतनी स्वस्थ है कि छोटे-मोटे कुत्ते पर तो झपट ही पड़ती हैं । सर्दियों के दिनों में वह छत पर धूप सेंकती है और ग्रीष्म ऋतु में सोफे और पलंग के नीचे विश्राम करती है । रानी मुझे बहुत प्रिय है । यदि मैं कही बाहर जाता हूँ तो मुझे उसकी बहुत याद आती है ।
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