एक बार एक चित्रकार था।वह नदी के किनारे एक चित्र बना रहा था तबी उसके सामने इक बाघ आगया। वह उसे खाने की तैयारी में था तभी चित्रकार को समझमे आगया कि बाघ उसे खाने चाहता है।चित्रकार घबरा गया तभी उसने बाघ से बचने के लिए उपाय सोचा। उसने बाघ से कहा कि तुम सीधे खड़े हो जाओ मैं तुम्हारा चित्र नीकालता हू।तभी बाघ अपना चित्र बनाने के लिए सीधे खड़े हो गया।चित्रकार बाघ का चित्र बनाने लगा और कुछ समय बाद चित्रकार ने बाघ को पीछे मुड़ने के कहा और जब बाघ पीछे मुड़ा तभी चित्रकार इक नाव में बैठकर भाग गया।जब बाघ ने देखा तो वह बहोत गुस्सा हुआ।
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(What is the moral of the story)
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when we trouble we don't lost our presence of mind
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