एक बार एक सज्जि िे लेखक से क ा था हक इस समय सुखी व्यक्तक्त व ी ै, जो कु छ ि ीिं करता
। कोई कु छ भी करेगा लोग उसमें दोष खोजिे लगेंगे । उसके सारे गुण भुला हदए जाएिंगे और दोष
को बढा-चढा कर हदखाया जाएगा । दोष हकस में ि ीिं ोते । य ी कारण ै हक आजकल प्रत्येक
व्यक्तक्त दोषी अनधक हदख र ा ै गुण कम या क्तबलकु ल ी ि ीिं । य वास्तक्तवकता ि ीिं ै परिंतु
अगर ऐसी जस्थनत ै तो निश्चय ी य नचिंता का क्तवषय
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because I only know english sorry
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