Hindi, asked by nithyashree1577, 1 month ago

एक बार दो मित्र निखिल और गौरव नगर की ओर गए। निखिल छोटा और गौरव लंबा था। निखिल बोला, “तुम ईश्वर के श्रेष्ठ भक्त हो। तुम उसकी सारी रचना को दोषरहित मानते हो, लेकिन मैं देखता हूँ कि ईश्वर की रचना त्रुटिपूर्ण है। इधर ही देखो, तरबूज और पेठा तो लताओं पर लगे हैं। ये लताएँ कमजोर और पतली हैं। ईश्वर ने मोटे तथा भारी फल तो लताओं पर उगा दिए और मोटे तथा बड़े वृक्षों पर जामुन आदि छोटे-छोटे फल लगा दिए। मेरे विचार से तो ईश्वर की यह रचना दोष से भरी है।"​



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Answered by bahirjipatange
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तुम,मैं

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