एक बूंद कविता का कविता लिको
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अदेव मेरे भाग्य में क्या है बदा,
मैं बचूँगी या मिलूँगी धूल में ?
या जलूँगी फिर अंगारे पर किसी
चू पडूँगी या कमल के फूल में ?
संदर्भ :- यह पद्यांश ‘ एक बूँद’ नामक कविता से लिया गया है । इस कविता के कवि हैं श्री अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘ हरिऔध ‘|
भावार्थ :- बादलों की गोदी में से निकलकर एक बूंद ने भगवान से पूछा कि उसके भाग्य में क्या लिखा है ? वह बाहर निकलकर बच पायेगी या धूल में मिलकर मिट जायेगी? उसे मालूम नहीं कि वह अंगारे में पड़कर जल जायेगी या कमल के फूल के दलों पर गिर पड़ेगी? उसके नसीब में क्या लिखा है?
लोग यों ही हैं झिझकते, सोचते
जबकि उनको छोड़ना पड़ता है घर
किन्तु घर का छोड़ना अक्सर उन्हें
बूँद लौं कुछ और ही देता है कर ।
संदर्भ :- यह पद्यांश ‘ एक बूँद’ नामक कविता से लिया गया है । इस कविता के कवि हैं श्री अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘ हरिऔध ‘|
भावार्थ : – इन पंक्तियों में कवि यह कहना चाहते हैं कि लोग अपना घर छोड़कर बाहर निकलते समय हिचकते हैं डरते हैं । लेकिन उनको डरने की आवश्यक्ता नहीं है क्योंकि उनको यह विश्वास होना चाहिए कि वे इस बूंद की तरह अच्छी जगह जाकर समाहित हो सकते हैं ।