एक बूंद खुशी के आँसू विश्य पर 100-120 words mein likhe
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"कुछ बूँदे चाय की,
उबाल पर थीं कल,
जलाती थीं जो होंठ कभी,
कल हाथ जलाया मेरा,
एक मुद्दत बाद,
जो कभी आग सीने में लगी थी,
उसने कल फिर दिल जलाया मेरा,
कल कुछ बूँदे आसुंओं की,
उफ़ान पर थीं,
जो निकलती थीं सिर्फ दुःखों पर,
कल ख़ुशी से छलक पड़ीं एक फ़ैसले पर,
मुझसे न हो सका इस्तक़बाल जो तेरा,
बताता है मेरा होना तुझमें हाथ का कलावा तेरा,
मैं ख़ुश हूँ , आज है मेरा इमाम-ए-हिन्द भी,
आना कभी चाय पर शाम की,
लेकिन न हो तेरे साथ धर्म का छलावा तेरा।"
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