एक एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण सामान्यत: अगली पीढ़ी में वंशानुगत नहीं होते। क्यों?
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एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में सामान्य तौर पर वही लक्षण स्थानांतरित होते हैं जिनका अनुवांशिक आधार जीन अथवा गुणसूत्र होते हैं ।
जैसे- १. पिता की लंबाई अधिक होने पर बच्चों की लंबाई भी अधिक होगी उसमें यह लक्षण अपने पिता से पुत्र में अनुवांशिक जीन के द्वारा निर्धारित होते हैं।
किंतु उपार्जित लक्षणों (जैसे लंबे नाखून, मांसपेशियां, अनुभव,) आदि में किसी भी प्रकार का अनुवांशिक पदार्थ जीन व गुणसूत्र नहीं पाया जाता है,|यही कारण है कि उपार्जित लक्षण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित अथवा वंशानुगत नहीं होती हैं।
स्पष्ट है कि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में सिर्फ वही लक्षण स्थानांतरित होते हैं जिनका निर्धारण जीन अथवा अनुवांशिक पदार्थ के द्वारा होता है।
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@GauravSaxena01
जैसे- १. पिता की लंबाई अधिक होने पर बच्चों की लंबाई भी अधिक होगी उसमें यह लक्षण अपने पिता से पुत्र में अनुवांशिक जीन के द्वारा निर्धारित होते हैं।
किंतु उपार्जित लक्षणों (जैसे लंबे नाखून, मांसपेशियां, अनुभव,) आदि में किसी भी प्रकार का अनुवांशिक पदार्थ जीन व गुणसूत्र नहीं पाया जाता है,|यही कारण है कि उपार्जित लक्षण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित अथवा वंशानुगत नहीं होती हैं।
स्पष्ट है कि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में सिर्फ वही लक्षण स्थानांतरित होते हैं जिनका निर्धारण जीन अथवा अनुवांशिक पदार्थ के द्वारा होता है।
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@GauravSaxena01
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Answer:
एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण सामान्यतः आनुवंशिक नहीं होते क्योंकि -----
Explanation:
(1) ऐसे लक्षण प्रायः अस्थायी तौर पर उत्पन्न होते हैं।
(ii) उपार्जित लक्षण प्रायः आनुवंशिक नहीं होते हैं क्योंकि आनुवंशिक लक्षण लैंगिक जनन के समय डी०एन०ए० में होनेवाले परिवर्तनों से उत्पन्न होते हैं।
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