एक फूल की चाह का आर्थ
Answers
एक फूल की चाह कविता के कवि " सियारामशरण गुप्त "हैं
प्रस्तुत कविता के माध्यम से कवि ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि सामाजिक विकास के लिए जाति के आधार पर किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए। भारतीय संविधान के धारा-17 के अंतर्गत भी छुआछूत को ग़ैरकानूनी माना गया है। देश का संविधान प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार देता है। जाति के आधार पर किसी से भेदभाव करना सामाजिक अपराध है जो मनुष्य की गरिमा को चोट पहुँचाती है। कवि के अनुसार जब हम सब देवी माँ की संतान हैं तब क्या उस पिता का दोष देवी की गरिमा से भी बड़ा है ? समाज में जो व्यक्ति ऐसा सोचता है कि दलित के मंदिर में प्रवेश करने से मंदिर या देवी माँ कलुषित हो जाएगी , उस व्यक्ति के विचार में खोट है और हृदय में ओछापन। छुआछूत के नाम पर दलितों को मंदिर में प्रवेश करने से रोकना आधुनिक हो रहे मानव को पतन की ओर उन्मुख करेगा और ऐसी स्थिति में हम एक ऐसे समाज की संरचना करेंगे जहाँ मानवीय-संवेदना और मानवीय-सहयोग का लोप हो जाएगा।