‘एक फूल की चाह’ कववता में तया सामाष्जक समस्या थी ?तथा बामलका की इच्छा का
तया पररणाम हुआ ? इस समस्या के समाधान के मलए अपने ववचार व्यतत कीष्जए | अपना
उत्तर 50-60 शब्दों में मलखें l
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केंद्रीय भाव- ‘एक फूल की चाह’ कविता में समाज में फैले वर्ग-भेद, ऊँच-नीच और छुआछूत की समस्या को केंद्र में रखा गया है। समाज दो वर्गों में बँटा हुआ है-एक तथाकथित कुलीन एवं उच्चवर्ग, दूसरो अछूत समझा। जाने वाला निम्न वर्ग। इसी अछूत वर्ग की कन्या सुखिया जो महामारी का शिकार होकर बुखार से तपती अवस्था में अर्ध बेहोशी की स्थिति में पहुँच जाती है। वह अपने पिता से देवी के प्रसाद का फूल लाने के लिए कहती है।
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‘एक फूल की चाह’ गुप्त जी की एक लंबी और प्रसिद्ध कविता है। प्रस्तुत पाठ उसी कविता का एक छोटा सा भाग है। यह पूरी कविता छुआछूत की समस्या पर केंद्रित है। मरने के नज़दीक पहुँची एक ‘अछूत’ कन्या के मन में यह इच्छा जाग उठी कि काश! देवी के चरणों में अर्पित किया हुआ एक फूल लाकर कोई उसे दे देता। उस कन्या के पिता ने बेटी की इस इच्छा को पूरा करने का बीड़ा उठाया। वह देवी के मंदिर में जा पहुँचा। देवी की आराधना भी की, पर उसके बाद वह देवी के भक्तों की नज़र में खटकने लगा। मानव-मात्र को एकसमान मानने की नसीहत देने वाली देवी के सवर्ण भक्तों ने उस विवश, लाचार, आकांक्षी मगर ‘अछूत’ पिता के साथ कैसा सलूक किया |