एक फिल्म का निर्माण किसी तपस्या से कम नहीं है सिद्ध कीजिए
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➲ फिल्म निर्माण किसी तपस्या से कम नहीं है, इस बात में कोई संशय नहीं। पथेर पंचाली के निर्देशक सत्यजीत राय को फिल्म का निर्माण करते समय अनेक तरह की परेशानियों से जूझना पड़ा था। उन्हें अपनी पत्नी के जेवर तथा अपनी बीमा पॉलिसी तक बेचनी पड़ गई थी। उनको पहला दृश्य पूरा करने में अनेक समस्या से जूझना पड़ा। बारिश के दृश्य को फिल्माने के लिए उन्हें कई दिनों तक अपने दल-बल के साथ गाँव में इंतजार करना पड़ा था। फिल्म के एक पात्र भूलो नामक कुत्ते और एक अन्य पात्र श्रीनिवास की असामयिक मृत्यु के कारण उन्हें उनके नए विकल्प तलाशने में भी काफी मशक्कत करनी पड़ी और इस कारण उन्हे इससे संबंधित बाकी दृश्यों को पूरा करने के लिए काफी समय लग गया। बोडाल गाँव में उन्हें वहां के पागल लोगों की बेहूदी हरकतों से काफी परेशानी हुई। गाँव में जो पुराना मकान किराए पर लिया था, उसकी मरम्मत कराते समय साँप निकल आया था। इस तरह उन्हें अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ा था। इस तरह स्पष्ट होता है कि फिल्म निर्माण करना किसी तपस्या से कम नही।
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