Hindi, asked by sayedasad75, 5 months ago

एक फटी चप्पल की आत्मकथा​

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Answered by pragyasingh20
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Answer:

मैं चप्पल हूँ और सिर्फ इंसान के ही काम आता हूँ. इंसान के पैरो की रक्षा करता हूँ कही उसके पैर मे कांटा न चुभ जाय, पत्थर से टकरा कर घायल न हो जाय, धूल मिट्टी से गंदा न हो जाय. फिर भी मुझे हेय माना जाता है. मुझ पर तरह – तरह से व्यंगोक्तिया बनती है जिससे मैं आहत होता हूँ. कोई कहता है जूते को सिर पर नही रखा जाता, पांव की जूती पांव मे ही अच्छी लगती है. पर जरा उनसे पूछो कि क्या उन्होने किसी गरीब को पैदल नदी पार करते देखा है? वह हाथो मे या सिर पर अपनी गठरी मे जूते रखता है ताकि उसका जूता भीग कर खराब न हो जाय. बस वही है जो मेरी इज्जत करता है. वरना मेरी कोई इज्जत नही करता. सब इस्तेमाल ही करते हैं बस. कहावतोँ मे और एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिये. जब किसी के घर मे झगडा हो रहा होता है तो कहते है वहाँ तो जूतियो मे दाल बंट रही है या वहाँ तो जूतम पैजार हो रही है. कभी किसी का दाव उल्टा पड जाय तो कहते है मियाँ की जूती मियाँ के सर. मेरी समझ मे नही आता इस प्रकार से यह एक दूसरे का अपमान करते है या मेरा?

जब से मैं पैदा हुआ हूँ या मेरा आविष्कार हुआ है मैं लगातार इंसानो के पैरो की रक्षा कर रहा हूँ. इंसान हर तरह से मेरा उपयोग कर रहा है. सिर्फ पैरोँ मे पहनने के लिये ही नही कभी – कभी हथियार के तौर पर, कभी व्यंग के तौर पर, कभी किस्से कहानी के तौर पर बीच – बीच मे मेरा जिक्र आ जाता है. मुझे तब खुशी मिलती है जब फिल्मी गानो मे मेरा जिक्र होता है “मेरा जूता है जापानी” “इब्नेब्तूता पहन के जूता”.

आजकल मेरा उपयोग खबरोँ मे आने के लिये भी खूब हो रहा है. सबसे पहले मुझे अमेरिका के राष्टृपति जार्ज बुश पर उछाला गया. इस घटना से जूता फैंकने वाले मुंतजर अल जैदी इस्लामिक देशोँ के हीरो बन गये. इसके बाद तो यह प्रसिद्धी पाने का आसान उपाय बन गया. चीन के राष्ट्रपति बेन जियाबाओ पर जर्मनी मे जूता फैका गया. हिंदुस्तान कैसे पीछे रहता, जीतन राम मांझी, आडवानी, चिदम्बरम और केजरिवाल आदि- आदि पर भी जूते फैंके गये. अब इससे उनका अपमान हुआ या मेरा मुझे समझ नही आ रहा. यही मेरी व्यथा है कथा है.

Explanation:

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