-एक ही खाक कर गढ़े सब भांडे ... यहाँ भांडे शब्द किसके लिए प्रयोग हुआ है?
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-एक ही खाक कर गढ़े सब भांडे ... यहाँ भांडे शब्द किसके लिए प्रयोग हुआ है ?
यहाँ पर भांडे शब्द से तात्पर्य मिट्टी के बने बर्तन और मनुष्य दोनों के लिए प्रयुक्त हुआ है।
व्याख्या :
कबीर दास अपने पदों की पंक्तियों के माध्यम से कहते हैं कि हम सब मिट्टी के बर्तन के समान ही हैं। हमें परमात्मा रुपी कुमार ने ही तो गढ़ा है। हम सब को एक ही तत्व से बनाया है। जिस तरह कुम्हार मिट्टी के बर्तन गढ़कर उन्हें आकार देता है, उसी तरह परमात्मा रूपी कुम्हार ने हम सभी को एक ही मिट्टी से गढ़कर अलग-अलग आकार दिया है। हमारे अंदर जो आत्मा है, वह परमात्मा का ही अंश है। हम परमात्मा रुपी कुम्हार द्वारा बनाए गए मिट्टी के बर्तन है।
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