Hindi, asked by jha123688, 1 month ago

एक जुंगल में लोमड़ी और सारस का रहना ………... दोनों में गहरी लमत्रता……………….लोमड़ी का शैतान और चालाक होना …………सारस को दावत पर बुलाना………………प्लेट में सूप परोसना …………मजाक उड़ाना………. सारस का भूखा रहना ……… लोमड़ी को दावत पर बुलाना …………सूप को सुराही में परोसना …………लोमड़ी को अपमालनत महसूस होना ----------लशक्षा।​

Answers

Answered by prachipatelranchi180
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Answer:

1 ek jangal mai lomri or saras kaa rahna dono mai namrata rahna lomri kaa saitann or chaak hona aur saras ko dawat par bulana aur plate mai sup parosna

Explanation:

Answered by roopa2000
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Answer:

बहुत पुरानी बात है, एक जंगल में एक लोमड़ी और एक सारस रहते थे। ये दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। सारस रोजाना लोमड़ी को तालाब से मछली पकड़ कर खाने के लिए देता था। इस प्रकार दोनों की दोस्ती बहुत गहरी होती चली गई।

Explanation:

सारस बहुत सीधा साधा था, लेकिन लोमड़ी बहुत शैतान और चालाक थी। वह हमेशा दूसरों को परेशान किया करती थी। उसे दूसरों का अपमान करने और मजाक उड़ाने में बहुत मजा आता था।

एक दिन उसने सोचा कि क्यों न एक बार सारस का भी अपमान किया जाए और उसका मजाक उड़ाया जाए। ऐसा सोचकर उसने सारस को दावत पर बुलाया।

उसने जान बूझकर सूप एक प्लेट में परोसा। उसे पता था कि सारस प्लेट में से सूप को नहीं पी सकता। उसे सूप न पीता देख लोमड़ी मन ही मन बहुत खुश हुई और झूठी चिंता दिखाते हुए सारस से पूछने लगी कि क्या बात है मित्र सूप पसंद नहीं आया क्या? सारस ने कहा नहीं मित्र, यह तो बहुत स्वाद से भरपूर है।सारस ने जब देखा कि सूप को प्लेट में परोसा है और लोमड़ी जान बूझकर उससे प्रश्न कर रही है, तब उसे समझ आ गया, लेकिन उसने कुछ नहीं बोला। उस दिन सारस को अपमान सहने के साथ ही भूखा प्यासा भी रहना पड़ा।

सारस ने भी दावत में सूप बनाया था और लोमड़ी के साथ लंबी चोंच वाले अन्य पक्षियों को भी बुलाया था। सारस ने सूप को सुराही में परोसा। सुराही का मुंह इतना छोटा था कि उसमें बस चोंच ही अंदर जा सकती थी।लोमड़ी पूरा टाइम सुराही और अन्य सभी पक्षियों को सूप पीते देखती रही। इसी बीच सारस ने पूछा कि क्या बात है मित्र सूप अच्छा नहीं लगा क्या, लोमड़ी को अचानक अपने शब्द याद आ गए। सभी बोले कि सूप बहुत स्वादिष्ट है। लोमड़ी काे भी सभी की हां में हां मिलाना पड़ा।

कहानी से सीख

हमें किसी का कभी अपमान और तिरस्कार नहीं करना चाहिए.

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