Hindi, asked by akhilthakur4142, 6 hours ago

एक जंगल में परिजात का एक पेड़ था। परिजात का कोई मुकाबला नहीं था। उसकी सुंदरता बेजोड़ थी। उसका रंग-रूप निराला था। परिजात को भी अपने गुणों का पूरा-पूरा पता था। नीले आसमान में सिर उठाए इस शान से खड़ा रहता, मानों पेड़ों का सरताज हो। जब बहार के दिन आते तो परिजात अनगिनत नन्हें-नन्हें फूलों से लद जाता, लगता मानों किसी ने आकाश से सारे तारे तोड़कर परिजात की शाखाओं पर टाँक दिए हो। नन्हें फूलों से झिलमिलाता परिजात जब सुगंध भरी पराग जंगल में बिखेरता तो जंगल नंदन बन जाता। चुंबक की तरह परिजात सबको अपनी तरफ़ खींचता, जिसे देखो, वही परिजात की तरफ़ भागता । सतरंगी शालें ओढ़े चटकीली तितलियाँ सहेलियों के साथ झुंड का झुंड बनाकर परिजात का श्रृंगार देखने आतीं तथा जाते-जाते फूलों को खींचकर ढेरों पराग अपने साथ ले जाती। 1.जंगल में किसका पेड़ था 2.परिजात अपने आप को स्वयं क्या समझता था?3वह अनगिनत फूलों से कब लद जाता था 4तितलियाँ क्या करती थीं?5 .इस गद्यांश का शीर्षक है

Answers

Answered by Anonymous
1

1) परिजात का

2) सभी पेड़ों का सरताज ।

3)बहार के दिन ( वसंण ऋतु)

4)परिजात का श्रृंगार देखने आतीं तथा जाते-जाते फूलों को खींचकर ढेरों पराग अपने साथ ले जाती।

5) परिजात की सुंदरता .. thanks

Answered by anushkat652
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Answer:

1 - जंगल मे एक परिजात का पेड़ था।

2 - परिजात आपने आप को सुंदरता से बेजोड़ और रंग रूप से निराला समझता था।

3 - जब बहार के दिन आते तो परिजात अनगिनत नन्हें-नन्हें फूलों से लद जाता था।

4 - सतरंगी शालें ओढ़े चटकीली तितलियाँ सहेलियों के साथ झुंड का झुंड बनाकर परिजात का श्रृंगार देखने आतीं तथा जाते-जाते फूलों को खींचकर ढेरों पराग अपने साथ ले जाती थी।

5 - इस गद्यांश का शीर्षक है 'परिजात'।

Explanation:

आशा करती हु की आप लोगो को मेरा उत्तर पसंद आया हो।

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