एक जिव दया पर निबंध
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हमेंप्रत्येक जीव के प्रति प्रेम दया भाव रखना चाहिए। मानवता का यही धर्म है। प्राचीनकाल में भी देवी-देवता के साथ किसी किसी पशु पक्षी का संबंध होना पशु संरक्षण का प्रतीक है। हमें पालतू पशुओं के साथ लावारिस पशुओं का भी ध्यान रखना चाहिए।
जीव-जंतु मानव जाती के लिए सदैव से ही उपकारी है। और वो हमेशा ही मनुष्य को किसी न किसी प्रकार से सुख सुविधा प्रदान करता है। हमारी धरती पर लगभग जीव जंतु की 87 लाख प्रजातिया है। और तो और कुछ की पह्चान होना अभी भी बाकि है और कुछ लुप्त होती जा रही है। और जो है उनमे से पालतू जीव हमारे लिए बोहोत अधिक महत्व रखते है। पी.एल.ओ.एस.बायोलॉजी में ही छपे एक लेख में रॉयल सोसायटी के पूर्व अध्यक्ष लॉर्ड राबर्ट में लिखते है ,” मानवता का अपने प्रति प्यार तो देखिये की हम यह बता सकते है। की अमरीकी कांग्रेस की लाइब्रेरी में एक फरवरी 2011 के दिन ,22,194.656 किताबे है लेकिन ये निश्चित रूप से नहीं कह सकते की दुनिया में कितने प्रकार के जीव जंतु है। ”
इस प्रकार आप समझ सकते है। की धरती पर इन जीव – जंतु में सभी जीव – जन्तु अपने जीवन को अपनी प्रकार से जीवन व्यतीत करते है।
यह बात एमबीसी राजकीय महिला महाविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्वावधान में पशु कल्याण विषयक विचार गोष्ठी में डॉ.हुकमाराम सुथार ने कही। कार्यक्रम में डॉ.मुकेश पचौरी ने कहा, पशुओं को गाड़ी में जोत कर क्षमता से अधिक भार ढोना, अपंग पशुओं को गलियों में आवारा छोड़ना, उन्हें पर्याप्त भोजन उपलब्ध नहीं कराने को क्रूरता बताया। उन्होंने जन सहयोग पशु कल्याण संस्थाओं के सहयोग से निराश्रित पशुओं के लिए आश्रयस्थल और पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराने पर बल दिया। खेल अधिकारी देवाराम चौधरी ने चोटिल पशुओं को अस्पताल पहुंचाने, वाहन को सावधानी से चलाने सहित आश्रय स्थल, गोशालाओं को विकसित करने का आह्वान किया।
एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ.मृणाली चौहान ने स्वयं सेविकाओं को पशुओं पर दया एवं क्रूरता निवारण का संदेश दिया। पशु हित में पॉलीथिन का प्रयोग करने की बात कही। कार्यक्रम में हरीश खत्री, पोकराराम, दिनेश आदि मौजूद थे।
एक जिव दया पर निबंध
Explanation:
दया की कीमत कुछ भी नहीं है लेकिन यह हमारे ग्रह को रहने के लिए एक खुशहाल जगह बनाने में मदद कर सकता है।
किसी व्यक्ति के जीवन में सफलता का स्तर तय करने में दयालुता महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। दयालुता 2 व्यक्तियों के बीच की खाई को पाटने में मदद करती है।
कोई भी निर्दयी लोगों या उन लोगों के आसपास घूमना पसंद नहीं करता है जो उन्हें नीचे रख देते हैं या उनसे गलत व्यवहार करते हैं। सरल शब्दों जैसे कि 'थैंक यू' कहना दूसरों के प्रति आभार प्रकट करने के लिए उपयोग करना कठिन नहीं है। दयालुता एक व्यक्ति की विशेषताओं को दर्शाती है।
व्यक्ति को दूसरे की कमजोरियों और दोषों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। आपको यह कहकर अनदेखा करना चाहिए- 'ध्यान रखें', 'कोई बात नहीं'। ऐसा इशारा हमेशा दूसरों को सुधारने और आपको याद रखने में मदद करेगा। दयालुता सकारात्मक वातावरण बनाने में मदद करती है। यह एक सार्वभौमिक भाषा है। यह एक ऐसी भाषा है जिसे एक अंधा देख सकता है और एक बहरा सुन सकता है।
दया का अर्थ न केवल मनुष्य के लिए अच्छा है, बल्कि इसका अर्थ यह भी है कि मनुष्य को जीवित प्राणियों के प्रति पापी या क्रूर गतिविधियों में लिप्त नहीं होना चाहिए। कहा जाता है कि दया के बदले में हमें दया मिलती है। उदाहरण के लिए, जब हम पौधों का पालन-पोषण करेंगे, प्यार करेंगे, देखभाल करेंगे और प्यार करेंगे तो वे बड़े होंगे और फल खाएंगे। ये फल हमारी दयालुता के बदले में प्रतिक्रिया के रूप में हैं। इसी तरह प्रकृति भी इंसानों की तरह दया और कृतज्ञता व्यक्त करने का अपना अनूठा तरीका है।
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दया - धर्म का मूल हैं
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