एक कौए - मोर पंख इकट्ठे - तन पर लगा लिया। उसे अपना नया रूप - मोरों के साथ रहेगा
- साथियों का तिरस्कार - मोरों के झुंड में - मिलने की कोशिश करने लगा - मोरों ने तुरंत - कौआ
आ गया - नोच-नोचकर - मज़ाक उड़ाने लगे - घर वापस लौट आया - नीच जीव हो - अपमान नहीं
सहना - घृणा की जाती।
Answers
यह पंचतंत्र की कहानी है :- ( सारांश और शिक्षा )
एक बार एक कौवा था उससे उसके पंख पसंद नहीं थे। वह हमेशा मोर के रंगीन पंखों की प्रशंसा करता था और मोर जैसे पंख चाहता। व सभी को कहता “आप सभी इतने सुस्त और सादे लगते हैं। देखो मोर कितने सुंदर हैं। मेरी इच्छा है कि मैं एक मोर बन्नू । एक दिन, कौए ने जमीन पर मोर के कई पंख देखे। उन मोर पंखों को देखकर उसके मन में एक विचार आया | उसने उन्हें इकट्ठा किया और उन्हें अपने पंखों और पूंछ में बांध लिया । अब मैं मोर के समान भव्य हूँ , उसने खुद से कहा।
वह मोर के झुंड में शामिल होने के लिए गया लेकिन मोर के झुंड ने उसका मजाक उड़ाया और उसे फेंक दिया । मोरों ने स्पष्ट रूप से समझ लिया कि वह उनमें से नहीं था। "उन्होंने कहा कि मोर पंख लगाने से आप मोर नहीं बनोगे"।
दुखी और अपमानित, वह अपने साथी कौवों के पास वापस लौट आया। लेकिन, उसके सभी साथियों में से किसी ने भी उसके अपमान के बाद उसका साथ नहीं दीया । तब एक बूढ़े बुद्धिमान कौवे ने आकर उससे कहा “हमें अपने आप को उसी तरह स्वीकार करना चाहिए जैसे हम हैं। दूसरों की आँख बंद करके नकल करने की कोशिश न करें। मुझेआशा है कि अब अपने अपना सबक सीख लिया है | कौए को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने पछतावा किया । उसने अपने पंखों से चिपके हुए मोर पंख को फाड़ दिया और खुद को एक कौवे के रूप में फिर से स्वीकार कर लिया। वह अपने साथी कौवे से उनका अपमान करने के लिए माफी मांगी। वे फिर से दोस्त बन गए। कौआ आखिरकार पूरी तरह से खुश था।
शिक्षा :- हमें अपने आप को जैसे है वैसे ही स्वीकार करना चाहिए और अपने आप में सकारात्मक रूप से सुधार लाना चाहिए।
कौआ चला मोर बनने |
Explanation:
एक बार एक कौए ने बहुत सारे मोर पंख इकट्ठे किए और उन्हें अपने शरीर पर लगा लिया। जब उसने स्वयं को देखा तो उसे अपना यह ग्रुप बहुत अच्छा लगा और उसने अब निश्चय कर लिया कि वह कौओ के साथ नहीं बल्कि मोरों के साथ रहेगा। ऐसा सोचने के बाद वह अपने पुराने साथियों का तिरस्कार कर मोरो के झुंड में शामिल होने चला गया।
हालांकि मोरों ने उसे पहचानने में तनिक देर न लगाई। और उन्होंने अपने बीच आए कौए के मोर पंखों को नोच नोच कर उसके तन से नोच डाला और उसका मजाक उड़ाने लगे।
मोरो द्वारा उड़ाई गए मजाक से अपमानित और दुखी होकर कौआ भारी मन से अपने घर वापस लौट आया। जब वह घर पहुंचा तो उसके सारे साथी कौए दोस्त उसके पास सिर हिलाते आ पहुंचे और कहने लगे तुम बहुत ही यदि तुम अपने ही पंखों से संतुष्ट होते तो तुम्हें दूसरों से इस तरह अपमानित नहीं होना पड़ता है और ना ही तुम्हारे अपने लोगों के बीच तुमसे घृणा की जाती।
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