एकाकी कला की दृष्टि में दीपदान एक उत्कृष्ट रचना है ? इस कथन को स्पष्ट की
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दीपदान का आंतरिक अर्थ सांकेतिक तथा प्रतीकात्मक है . इस अर्थ में दीप जीवन का पर्याय बन गया है . इस रूप में पन्ना अपने पुत्र का दान करके कुँवर उदय सिंह के प्राणों की रक्षा करती है . जहाँ सम्पूर्ण चितौड़ उमंगित होकर तुलजा भवानी की समक्ष दीपदान कर रहा है वहीँ धय माँ अपने साहस और त्याग का परिचय देती है
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Explanation:
दीपदान एकांकी में पन्ना धाय का चरित्र चित्रण
इसमें ममता ,करुणा ,त्याग ,कर्तव्यनिष्ठ तथा देश प्रेम का भाव कूट -कूट कर भरा हुआ है .वह उदय सिंह की धाय है . अतः उसकी रक्षा उसका प्रथम कर्तव्य है . वह बड़े से बड़े प्रलोभन से भी विचलित नहीं होती है .
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