Geography, asked by navaraja2283, 1 year ago

एक काल्पनिक नगर और सत्य मानसिकता को दिखाने के लिए एक लाइन ग्राफ

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Answered by Anonymous
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Kalpna aur satya

Explanation:

संशयवाद का मतलब है कि आपको जानकारी नहीं है, इसलिए आप हर चीज को लेकर संशय में हैं। अगर संशयवाद हर चीज को लेकर स्थायी शक में बदल जाता है, तो यह एक बीमारी है। शक का मतलब है कि आपने पहले से निष्कर्ष निकाल लिए हैं। आपके संशयवादी होने का मतलब है कि आप अब भी खोज कर रहे हैं। आप अब भी चीजों को खोल कर उन्हें देखना चाहते हैं लेकिन अगर आप संदेहवादी होंगे, तो आप कुछ भी नहीं खोलेंगे क्योंकि आप पहले से हर चीज के बारे में एक पूर्व निश्चित धारणा बना लेते हैं।

तो संदेह करना आपकी आध्यात्मिक प्रगति को धीमा नहीं करेगा। बल्कि यह आपकी आध्यात्मिक प्रगति को तेज करेगा। वास्तविक रूप से संदेह करने वाले ही आध्यात्मिक हो जाते हैं, क्योंकि वे किसी चीज की तलाश में होते हैं। बाकी लोग हर चीज के बारे में मूर्खतापूर्ण निष्कर्ष निकालते हैं।

शंकालु या अविश्वासी लोग नकारात्मक नतीजे निकालते हैं, आस्थावान या विश्वासी सकारात्मक नतीजे निकालते हैं मगर दोनों एक ही श्रेणी के हैं। प्लस हो या माइनस, इससे फर्क नहीं पड़ता। ये सब एक ही खेल में हैं – संख्याओं के खेल में।सत्य की खोज : न कुछ जोड़ें न घटाएंसंशयवादी या संदेहवादी न जोड़ना चाहता है, न घटाना चाहता है। वह हर चीज को उस रूप में देखना चाहता है, जैसा वह वाकई है। यह एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है। आध्यात्मिक प्रक्रिया का अर्थ है, ‘मैं जीवन को उस रूप में देखना चाहता हूं, जैसा वह वास्तव में है। मुझे उसमें कुछ भी जोड़ना नहीं है, मुझे उससे कुछ भी घटाना नहीं है।’ एक संदेहवादी की मूल मानसिकता यही है।

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