Hindi, asked by sonimaurya90057, 5 months ago

एकांकी लक्ष्मी का स्वागत के आधार पर रोशन की माँ का चरित्र चित्रण कीजिए​

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Answered by badaisadram
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Answered by tiwariakdi
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इस तरह रोशन अपनी पत्नी और पुत्र को प्रेम करने वाला एक बेहद संवेदनशील और समझदार व्यक्ति है। जबकि उसके माता-पिता एक संवेदनहीन लोग हैं जो अपने पोते की बीमारी की हालत में भी रोशन की शादी करने के लिए तत्पर है, क्योंकि रोशन की शादी से उन्हें भारी भरकम दहेज मिलेगा। वे कहते हैं कि लक्ष्मी का निरादर नहीं किया जाता।

Explanation:

कहानी का मुख्य पात्र रोशन एक मध्यमवर्गीय व्यक्ति है। वो अपनी पत्नी और पुत्र को प्यार करने वाला एक संवेदनशील व्यक्ति है। उसकी पत्नी का एक माह पहले ही बीमारी के कारण देहांत हो चुका है और वो अपनी पत्नी के वियोग में दुखी है। उसी समय उसके पुत्र भी गंभीर रूप से बीमार पड़ जाता है। उसके पुत्र की स्थिति बिगड़ती जा रही है। रोशन के माता पिता रोशन पर दूसरी शादी का दबाव डाल रहे हैं।

लेकिन रोशन अपने पुत्र से बेहद प्रेम करता है और वह अपने पुत्र की देखभाल करना प्रथम कर्तव्य समझता है। इसलिए वो दूसरी शादी के विषय में नहीं सोचता। जबकि उसके माता-पिता उस पर दबाव डालते हैं। रोशन का पुत्र का बीमार है। रोशन अपने पुत्र की देखभाल में जी-जान से लगा है। उसी समय रोशन के लिए शादी का रिश्ता आता है तो उसके माता-पिता शगुन लेने के लिए तैयार हो जाते हैं। जबकि रोशन रिश्ते वालों से मिलने नहीं आता। वो अपने पुत्र अरुण की देखभाल में व्यस्त रहता है।

ये उसकी संवेदनशीलता और अपने पुत्र के प्रति प्रेम को प्रकट करता है। इस तरह रोशन अपनी पत्नी और पुत्र को प्रेम करने वाला एक बेहद संवेदनशील और समझदार व्यक्ति है। जबकि उसके माता-पिता एक संवेदनहीन लोग हैं जो अपने पोते की बीमारी की हालत में भी रोशन की शादी करने के लिए तत्पर है, क्योंकि रोशन की शादी से उन्हें भारी भरकम दहेज मिलेगा। वे कहते हैं कि लक्ष्मी का निरादर नहीं किया जाता। इन्ही सब स्थितियों के बीच रोशन के पुत्र अरुण का देहांत हो जाता है, और एकांकी का समापन हो जाता है। इस तरह रोशन अपनी पत्नी और पुत्र को प्रेम करने वाला एक बेहद संवेदनशील और समझदार व्यक्ति है। जबकि उसके माता-पिता एक संवेदनहीन लोग हैं जो अपने पोते की बीमारी की हालत में भी रोशन की शादी करने के लिए तत्पर है, क्योंकि रोशन की शादी से उन्हें भारी भरकम दहेज मिलेगा। वे कहते हैं कि लक्ष्मी का निरादर नहीं किया जाता। लक्ष्मी का स्वागत' एकांकी में एक ओर पत्नी की मृत्यु और पुत्र की बीमारी से चिंतित रोशन की व्यग्रता का चित्रण प्रस्तुत किया गया है । दूसरी ओर उसके माता-पिता की हृदयहीनता का जो रौशन और उसके बेटे का ध्यान न रख रौशन के विवाह द्वारा लक्ष्मी प्राप्त करने की चेष्टा संलग्न है

लक्ष्मी का स्वागत' एकांकी उपेंद्रनाथ 'अश्क' द्वारा लिखित सामाजिक विद्रूपताओं पर चोट करने वाली एक सशक्त रचना है। इस एकांकी की कथावस्तु पारिवारिक होते हुए भी दूषित सामाजिक मान्यताओं और परंपराओं की ओर संकेत करती है और आज के मनुष्य की धन-लोलुपता, स्वार्थ-भावना, हृदयहीनता तथा क्रूरता का यथार्थ रूप प्रस्तुत करती है।

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