एकांकी से आप क्या समझते हैं स्पष्ट करते हुए पृथ्वीराज की आंखें की समीक्षा कीजिए
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रामकुमार वर्मा द्वारा लिखित 'पृथ्वीराज की आँखें' एक ऐतिहासिक एकांकी नाटक है। इस नाटक में भावना की प्रधानता है। प्रस्तुत एकांकी लिखने के पीछे निहित एकांकीकार का उद्देश्य तत्कालीन भारत की राजनैतिक स्थिति का चित्रण करना है।
एकांकी से आप क्या समझते हैं स्पष्ट करते हुए पृथ्वीराज की आँखें की समीक्षा कीजिए:
एकांकी के तात्पर्य एक अंक वाले नाटक से होता है। यूँ तो नाटक में कम से कम 4 अंक होते हैं, लेकिन जिस लघु नाटक में केवल एक अंक होता है, वह एकांकी कहलाता है। एकांकी में पात्रों की संख्या कम होती है और संवाद छोटे-छोटे होते हैं। तथा एकांकी का प्रस्तुतीकरण किस तरह किया जाता है कि वह केवल एक कमरे तक ही सीमित रहता है और उस कमरे में ही पूरा घटनाक्रम घटित हो जाता है।
पृथ्वीराज की आँखें एकांकी की समीक्षा :
पृथ्वीराज की आँखें डॉ. रामकुमार वर्मा द्वारा लिखित एक ऐतिहासिक एकांकी है। यह नाटक भावात्मक तत्वों से भरपूर है। इस एकांकी के माध्यम से लेखक ने तत्कालीन भारत की राजनीतिक स्थिति का चित्रण किया है। पृथ्वीराज को मोहम्मद गोरी कैद करके कर लेता है और उन पर तमाम तरह के निर्मम अत्याचार किए जाते हैं। उनकी आँखें फोड़ दी जाती हैं और उनके शरीर को जगह जगह से गर्म सलाखों से दागा जाता है। इतने निर्मम अत्याचार सहने के बावजूद पृथ्वीराज जिस तरह से साहस और स्वाभिमान का परिचय देते हैं, लेखक ने वही बात इस एकांकी के माध्यम से स्पष्ट की है।
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