एक कूटनीति तथा राजनेता के रूप में बिस्मार्क का मूल्यांकन कीजिए
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¿ एक कूटनीति तथा राजनेता के रूप में बिस्मार्क का मूल्यांकन कीजिए ?
✎... बिस्मार्क एक सफल कूटनीतिज्ञ और राजनेता था, जिसने जर्मनी के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बिस्मार्क जर्मन साम्राज्य चांसलर था। अपने समय में वह यूरोप का सबसे प्रभावी नेता भी था। उसके कूटनीतिक प्रयासों ने ही जर्मनी को यूरोप की सबसे प्रमुख शक्ति बना दिया था। बिस्मार्क की सबसे बड़ी कूटनीति ऑस्ट्रिया और रूस के साथ तीन राष्ट्रों का एक संघ बनाना और फ्रांस को यूरोपीय राजनीति में अलग-थलग करना था।
बिस्मार्क ने रूस को सदैव अपने पाले में रखा और रूस के साथ संबंध बनाए रखें। बिस्मार्क को सबसे बड़ा खतरा फ्रांस रहा था। उसने फ्रांस को यूरोप की राजनीति से अलग-थलग करके रखा। बिस्मार्क ने अपनी कूटनीतिक प्रयासों से ऐसे कार्य की जिससे फ्रांस में आंतरिक मतभेद ही चलता रहा और वह अपने अंदर की व्यवस्था से परेशान रहे। इससे फ्रांस यूरोप की राजनीति में अलग-थलग पड़ गया।
बिस्मार्क की कूटनीति में रूस उसकी विदेश नीति का धुरी था और अनेक मतभेदों के बावजूद रूस के साथ मित्रता पूर्ण संबंध बिस्मार्क की मुख्य नीति था।
बिस्मार्क ने इंग्लैंड के साथ अपनी विदेश नीति के अंतर्गत ऐसी नीति अपनाई, जिससे इंग्लैंड की विदेश नीति पर कोई प्रभाव ना पड़े उसने इंग्लैंड के साथ अपनी नीति में एक सामन्जस्य बनाए रखा।
बिस्मार्क ने त्रि-सम्राटों के संघ का निर्माण किया। जिसमें ऑस्ट्रिया, रूस तथा जर्मनी शामिल थे और इन दोनों देशों के साथ बहुत अच्छे संबंध ना होने के बावजूद उसने यूरोप में शांति और समाजवादी आंदोलन का हवाला देकर त्रि-राष्ट्र संघ का निर्माण किया।
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