एक कदम हरित एवं स्वच्छ उर्जा की ओर essay plz
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भारत ने अपने बिजली क्षेत्र में परिवर्तन के लिए पहले से ही 2022 तक 175 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता प्राप्त करने के लक्ष्य की एक अल्पकालिक परिकल्पना तैयार की है। नई सरकार 175 गीगावाट उत्पादन क्षमता प्राप्त करने के लक्ष्य की पुन: पुष्टि और मजबूती प्रदान करते हुए, 2030 तक अक्षय ऊर्जा क्षमताओं के लिए एक मध्यावधि लक्ष्य स्थापित कर सकती है। यह क्षेत्र को विस्तारित लक्ष्य और दृढता प्रदान करेगा और इससे इस क्षेत्र में निवेश में वृद्धि होगी। उदाहरण के लिए, टेरी के शोध से पता चलता है कि बड़ी जल बिजली परियोजनाओं को छोड़कर, 400-450 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता हासिल करने का लक्ष्य वर्ष 2030 तक तकनीकी और आर्थिक रूप से व्यवहारिक होगा।
जब अक्षय ऊर्जा का उत्पादन बढ़ने लगेगा, तब ग्रिड में लचीलापन न होने से अधिक हरित ऊर्जा को इसमें समाहित करने में बाधा आ सकती है।
लचीलेपन के मुद्दों को हल करने के लिए, सरकार को एक अंतर-मंत्रालयी, संपूर्ण-सरकार को लेकर एक 'फ्रेक्सीबिलिटी मिशन या लचीलापन मिशन' स्थापित करना चाहिए ताकि बिजली प्रणाली में लचीलेपन को बढ़ाने के लिए आवश्यक अल्प कालिक और मध्य-कालिक उपाय तय किये जा सकें जिससे नवीकरणीय ऊर्जा की उच्च हिस्सेदारी को इनमें शामिल किया जा सके। ऐसा करते समय इन बातों पर ध्यान होना चाहिए -
मांग को अधिक लचीला और आपूर्ति के प्रति उत्तरदायी बनाना
सीमाओं से आगे बढ़कर ऊर्जा लेनदेन को बढ़ावा देना
पंपम्ड स्टोरेज हाइड्रो स्टेशन (पनबिजली ऊर्जा भंडार) पर बल
बैटरी आधारित भंडारण को बढ़ावा देना और अतिरिक्त भंडारण क्षमता विकसित करना; मौजूदा बिजली संयंत्रों को अधिक लचीला बनाना
बिजली व्यवस्था में लचीले निवेश और संचालन को प्रोत्साहित करने के लिए आवश्यक विनियामक और बाजार संकेतक तैयार करना
भारत पवन और सौर ऊर्जा की कम लागत का लाभ उठा कर अपने यहां औद्योगिकरण में बिजली के लिये अधिक से अधिक अक्षय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करने वाला पहला देश बन सकता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि नवीकरणीय ऊर्जा परिष्कृत कोयले की तुलना में सस्ती है, और निश्चित रूप से मौजूदा कोयले की तुलना में भी सस्ती है।
बड़े पैमाने पर नवीकरणीय विद्युत प्रणाली में परिवर्तन के लिए हालांकि, एक स्पष्ट, दीर्घकालिक और स्थिर नीति की आवश्यकता होगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह सुव्यवस्थित और लाभप्रद तरीके से हो रहा है।