Hindi, asked by sjnmarketz6982, 11 months ago

एक कविता जिसमें लोकोक्तियाँ मुहावरे का बहुत अधिक प्रयोग हो और उसका मतलाव भी हो

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Answered by foxee2005
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Answer:

तुम खून पसीना एक करो

मैं गिरगिट सा रंग बदलता हूँ,

काम जरा तुम नेक करो।

गद्दारों की खाट खड़ी जो करनी है,

चने दांतों तले चबवाएँगे

शत्रु छाती सांप भी लौटेगा,

उनके रेतों के महल गिराएंगे।

तुम आम नहीं, नाक के बाल हुए,

गीदड़ भभकी कहाँ डराएगी

तिल को ताड़ बनाना छोड़ो,

वरना खुशी, नौ दो ग्यारह हो जाएगी।

चींटी के देखो पर हैं निकले,

हैं चूहे बिल्ली का बैर नहीं

दांत उनके अब होंगे खट्टे,

रह पानी मे करते मगर से बैर नहीं।

होश उड़ें तेरे दुश्मन के,

ऐसी आंखें लाल करो

तिनका भी डूबते को नसीब न हो,

तुम उसका जीना मुहाल करो।

शेखो जो कोई बघारे यहां,

खूंटे के बल जो कूद पड़े

पानी-पानी करने को उसको,

बन बाज़ तू उसपे टूट पड़े।

रेत के किले मुबारक उनको,

जो पल पल घुटनों पे आते हैं।

हम तो गागर में सागर भरते,

ख्याली पुलाव नहीं पकाते हैं।

हमको गाजर मूली न समझो,

हर किला फतह कर आते हैं।

उनसे अब क्या आंख चुराएं,

जो गधे को बाप बताते हैं।

बनना है तो गले का हार बनो,

गर्दन की सवारी ठीक नहीं।

घुटने तो टेक सभी देते हैं,

कंगले की खुद्दारी ठीक नहीं।

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