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का पढ़कर पूछ
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गांधी चलती-फिरती कक्षा भी लगाया करते थे। अपने छोटे छोटे लड़कों को घर पढ़ाने के लिए गांधी समय नहीं निकाल पाते थे
इसलिए दफ्तर जाते समय बच्चे अपने बापू के साथ हो लेते थे। वे प्रति दिन पाँच मील पैदल चलते-चलते कहानी के रूप मे
गुजराती साहित्य, कविता और अन्य विषयों का ज्ञान प्राप्त किया करते थे। बच्चों को स्कूल भेजने के सवाल पर झंझट उठ खड
हुआ था। अंग्रेजों के स्कूल में भारतीय बच्चों को दाखिला नहीं मिलता था। गांधी को विशेष छूट मिल सकती थी। किंतु जो उनके
सब भारतीय भाईयों को न मिले, उन्हों ने ऐसी सुविधा नहीं ली। गांधी अपने बच्चों को अंग्रजी स्कूलों में भेजकर मातृभाषा
बजाय अंग्रेजी और अंग्रेजियत नहीं सिखाना चाहते थे। कुछ दिनों के लिए एक अंग्रेज महिला ने उनके बच्चों को अंग्रेजी पढ़ा,
और बाकी विषय उन्होंने खुद पढ़ाए। अपने घर में रहने वाले अंग्रेज मित्रों तथा आने-जाने वालों के संपर्क में उनके बच्चों के
अंग्रेजी बोलने का अच्छा अभ्यास कर लिया था। फिनिक्स में गांधी ने आश्रमवासियों के बच्चों के लिए एक पाठशाला खोला
गांधी स्वयं उसके प्रधान शिक्षक थे और अन्य साथी सहशिक्षक । गांधी जो काम स्वयं नहीं कर पाते थे उसे दूसरों को करने का
उपदेश नहीं देते थे। उनकी मान्यता थी कि जो शिक्षक स्वयं भीरू और अनियमित होगा वह विद्यार्थियों को साहस और नियन
पालन नहीं सिखा पाएगा। शिक्षक को अपने विद्यार्थियों के समझ आदर्श रुप होना चाहिए। उन्हें जब भी समय मिलता, वह बहुत
कुछ पढ़ डालते और कोई नई बात सीख लेते थे। पैंसठ साल की आयु में जेल में रहते हुए उन्होंने पहली बार आकाश में ग्रह-नक्षत्र
को पहचानना सीखा था।
क) समझ का अर्थ है
(i) समझदार होना
(ii) सामने
(iv) समकक्ष
ख) इनमें से कौन सा यौगिक शब्द नहीं है?
(i) अनियमित
(ii) भारतीय
(iv) पाठशाला
ग) गांधीजी
में विश्वास रखते थे।
(i) जीवनपर्यंत शिक्षा (ii) व्यावसायिक शिक्षा (iii) मुलभूत शिक्षा (iv) आर्दशों पर आधारित शिक्षा
घ) शिक्षक को अपने शिक्षार्थियों के समझ आदर्श रूप होना चाहिए क्योंकि
(i) ऐसा प्रचलन है (ii) शिक्षार्थी शिक्षक के व्यवहार का अनुगमन करते हैं
(iii) शिक्षक आदर्शवादी होता है (iv) शिक्षक को ऐसा ही करना सिखाया गया है।
(iii) पीछे
(iii) आदर्श
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