एक लेखांकन की सहायता से बादलों का वर्गीकरण दर्शाइए
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पृथ्वी की सतह से काफी ऊँचाई पर वायुमंडल में जलवाष्प के संघनन के फलस्वरूप निर्मित जलकणों या हिमकणों के झुंड को ‘बादल’ कहते हैं । बादल मुख्यतः हवा के रुद्धोष्म प्रक्रिया (Adiabatic Process) द्वारा ठंडे होने एवं उसके तापमान के ओसांक से नीचे गिरने से बनते हैं ।
गर्म व आर्द्र हवा के ऊपर उठने एवं ठंडे होने की इस प्रक्रिया में तापमान ओसांक तक पहुँच जाता है तथा जलवाष्प के संघनन से बादल का निर्माण हो जाता है । वर्षा के विभिन्न रूपों के लिए यही उत्तरदायी है । पृथ्वी पर ऊष्मा बजट बनाए रखने में भी इनकी महती भूमिका होती है ।
बादलों के वर्गीकरण के क्रम में इनके रूप, सामान्य आकृति, सरंचना ऊर्ध्वाधर विस्तार एवं उनकी ऊँचाई को प्रमुख आधार बनाया जाता है ।
औसत ऊँचाई के आधार पर बादलों को तीन मुख्य वर्गों में बाँटा जा सकता है:
1. ऊँचे-मेघ (ऊँचाई 6,000 से 12,000 मीटर)
2. मध्य मेघ (ऊँचाई 2,000 से 6,000 मीटर)
3. निचले मेघ (ऊँचाई 2,000 मीटर तक)
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