एक लालची आदमी - कड़ी तपस्या करना देवता का प्रसन्न होना वरदान – दौड़कर जितनी
जमीन घेरोगे, उतनी तुम्हारी – दौड़ते रहना थककर गिरना – मृत्यु – सीख। kahani lekhan
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एक लालची आदमी कड़ी तपस्या करना देवता का प्रसन्न होना वरदान दौड़ कर जितनी जमीन करोगे उतनी तुम्हारी दौड़ते रहना थक कर गिरना मृत्यु सीख कहानी लेखन
एक लालची आदमी ने एक बार बहुत कड़ी तपस्या की | आदमी की कड़ी तपस्या को देखकर देवता प्रसन्न हुए | देवता ने उसे वरदान दिया | देवता ने उसे कहा जितना तुम जमीन में दौड़ सकते हो , उतिनी सारी जमीन तुम्हारी होगी | यह सुनकर आदमी बहुत खुश हो गया | आदमी को लालच भी आ गया वह आदमी दिन-रात भागता ही रहा | महीने से भी ज्यादा हो गया वह भागता रहा | अंत में वह आदमी भूखा-प्यासा कमोजर होने के कारण उसकी मृत्यु हो गई | आदमी के पास कुछ नहीं बचा | उसका जीवन खत्म हो गया|
सिख : कहानी से हमें सिख मिलती है कि हमें जीवन में कभी लालच नहीं करना चाहिए | जितना मिले उसी मैं खुश रहना चाहिए |
Explanation:
हैदतपुर गांव में एक लालची आदमी रहता था उसके पास धन संपत्ति थी पर उसमें वह खुश नहीं था उसे और चाहिए था इसलिए उसने जंगल में जाकर तपस्या करने की ठानी उसने कड़ी तपस्या की उसकी कड़ी तपस्या को देख कर देवता प्रसन्न हुए और धरती पर प्रकट.
देवता ने आदमी से कहा अपनी आंखे खोलो बच्चा.यह सुनकर आदमी ने अपनी आंखें खोली और देवता को देखकर प्रसन्न हो गया.आदमी ने देवता के दर्शन लिए.देवता बोले मैं तुम्हारी तपस्या से बहुत खुश हुआ हूं. बोलो तुम्हें क्या वरदान चाहिए. आदमी ने सोच कर जवाब दिया हे देवता आप मुझे जो दे सकते हैं वह दीजिए. यह सुनकर देवता बोले ठीक है मैं तुम्हें वरदान देता हूं तुम तोड़कर जितनी जमीन करोगे उतनी तुम्हारी होगी यह सुनकर आदमी बहुत खुश हो गया.
उसने दौड़ना शुरू किया,उसे लालच आया वह दिन रात भागता ही रहा. महीने से भी ज्यादा हो गया वह भागता ही रहा.अंत में वह आदमी भूख प्यास के कारण कमजोर होने लगा और इसी वजह से उसकी मृत्यु हो गई आदमी के पास कुछ नहीं बचा उसका जीवन खत्म हो गया. उसने जितनी भी जमीन दौड़ कर ली थी वह सब चली गई.
सीख:-हमें जीवन में कभी लालच नहीं करना चाहिए जितना मिले उसी में खुश रहना चाहिए. यदि हम लालच करते हैं तो जो भी हमारे पास है वह भी चला जाता है. लालच बुरी बला है.
शीर्षक:-लालच का परिणाम