एक मौलिक कहानी लिखिए जिसका समाप्त प्रस्तुत वाक्य से हो :-
आनंद के वेतन भुलाए नहीं जा सकते
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मनुष्य दूसरों के अनुभव से बहुत कुछ सीखता है। कई बार ऐसा भी होता है कि हम किसी दूसरे के अनुभव पर टिप्पणी करते हुए कह उठते हैं- …… काश! ऐसा पल मेरे जीवन में भी आया होता।
मुझे एक सत्यकथा स्मरण हो आती है जो इसी वाक्य पर आधारित है। वह कथा मुझे मेरे दादा जी ने सुनाई थी।
हमारे गाँव में मुख्यमार्ग बन रहा था। हिमाचल का क्षेत्र होने के कारण पथरीला व पहाड़ी मार्ग काटना पड़ रहा था। जगह-जगह ऊँची पहाडियाँ आ जातीं। खुदाई का काम चलते-चलते वेदी वंश से अधिग्रहण की गई एक पहाड़ी भूमि पर जा पहुंचा। अगली भूमि में पड़ते एक टीले तक पहुँच गया। वह टीला चारों ओर से पक्की पत्थरों से बनी पाँच-छह फुट चौड़ी व पच्चीस फुट ऊँची दीवारों से घिरा था।
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