एक मानवाधिकार-समूह ने अपनी याचिका में अदालत का ध्यान देश में मौजूद भूखमरी की स्थिति की तरफ खींचा। भारतीय खाद्य निगम के गोदामों में 5 करोड़ टन से ज़्यादा अनाज भरा हुआ था। शोध से पता चलता है कि अधिकांश राशन-कार्डधारी यह नहीं जानते कि उचित मूल्य की दुकानों से कितनी मात्रा में वे अनाज खरीद सकते हैं। मानवाधिकार समूह ने अपनी याचिका में अदालत से निवेदन किया कि वह सरकार को सार्वजनिक वितरण-प्रणाली में सुधार करने का आदेश दे।
(क) इस मामले में कौन कौन से अधिकार शामिल हैं? ये अधिकार आपस में किस तरह जुड़े हैं?
(ख) क्या ये अधिकार जीवन के अधिकार का एक अंग हैं?
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Answer with Explanation:
(क) इस मामले मे जीवन का अधिकार , भूख से मुक्ति का अधिकार , सूचना का अधिकार, समानता का अधिकार तथा संवैधानिक उपचारों का अधिकार शामिल हैं। राशन कार्ड धारियों को अनाज की जानकारी सरकार द्वारा दी जानी चाहिए।
(ख) उपरोक्त सभी अधिकार जीवन के अधिकार के अंग हैं। बिना अनाज के व्यक्ति का जिंदा रहना असंभव है । भोजन व्यक्ति के जीवन के लिए बहुत जरूरी है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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गरीबों के बीच काम कर रहे एक कार्यकर्ता का कहना है कि गरीबों को मौलिक अधिकारों की ज़रूरत नहीं है। उनके लिए जरूरी यह है कि नीति-निर्देशक सिद्धांतों को कानूनी तौर पर बाध्यकारी बना दिया जाए। क्या आप इससे सहमत हैं? अपने उत्तर का कारण बताएँ।
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अनेक रिपोर्टों से पता चलता है कि जो जातियाँ पहले झाड़ देने के काम में लगी थीं उन्हें अब भी मजबूरन यही काम करना पड़ रहा है। जो लोग अधिकार पद पर बैठे हैं वे इन्हें कोई और काम नहीं देते। इनके बच्चों को पढ़ाई-लिखाई करने पर हतोत्साहित किया जाता है। इस उदाहरण में किस मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है।
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