एक महानायक ऐसा भी
सर निकोलस विंटन एक ऐसे महानायक हैं, जिनकी भूमिका के बारे में आधे शुरुआत
दशक तक किसी को पता भी नहीं था। उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध की पूर्व
व्यक्ति
संध्या पर चेकोस्लोवाकिया के 669 बच्चों को बचाने में महत्त्वपूर्ण
भूमिका निभाई। आगे च
उनके इस महान कार्य के बारे में किसी को पता भी नहीं चलता यदि एक दिन
विंटन की पत्नी को अपने घर की अटारी में एक धूल से भरी हुई स्क्रैपबुक न आदि
मिलती। आख़िर क्या था उस स्क्रैपबुक में? उस स्क्रैबुक में उन 669 बच्चों के
महत्त्व
नाम, तस्वीरें और दस्तावेज थे जिन्हें विंटन ने होलोकॉस्ट के कहर से बचाया था।-
दीजिप
ये वे दस्तावेज़ थे जो विंटन द्वारा किए गए एक महान कार्य की ओर इशारा कर
लेख
रहे थे।
तस्वी
निकोलस विंटन का जन्म लंदन में 19 मई 1909 में हुआ था। उनके पिताजी एक
बड़े व्यापारी बैंकर थे। विंटन ने स्टोव स्कूल बकिंघम से पढ़ाई की और लंदन से
पहव
अंतरराष्ट्रीय बैंकिग में प्रशिक्षण लिया। उसके बाद उन्होंने बर्लिन और पेरिस में भी
संक्षे
काम किया। 1931 में वे लंदन वापस आए और एक सफल स्टॉकब्रोकर बने।
दिसंबर 1938 में विंटन अपनी एक लंबी छुट्टी छोड़कर चेकोस्लोवाकिया चले
गए जो उन दिनों राजनीतिक रूप से काफी अशांत था। वह स्वयं यह देखना
और अनुभव करना चाहते थे कि चेकोस्लोवाकिया के शरणार्थियों का क्या हाल
है। नाज़ियों ने हाल ही में अपनी ताकत को आज़माना शुरू किया था और विंटन
को इस बात की भनक लग गई थी कि शरणार्थी बहुत भयानक खतरे में हैं।
बस फिर क्या था? वे निकल पड़े। चेकोस्लोवाकिया में बिताए इन तीन हफ्तों में
उन्होंने शरणार्थियों के बच्चों को बचाने के लिए कुछ महत्त्वपूर्ण कदम उठाए
जो आगे चलकर मील के पत्थर साबित हुए। उन्होंने लोगों को शरणार्थियों के
बच्चों का पालन-पोषण करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु विज्ञापन बनाए। वहाँ
से लंदन लौटने के बाद भी अगले नौ महीनों तक उन्होंने ये प्रयास अपने घर से
ही जारी रखे। अंतत: उन्होंने आठ रेलगाड़ियों की व्यवस्था करके 669 बच्चों को
सफलतापूर्वक चेकोस्लोवाकिया से ब्रिटेन बुलवा लिया। इस तरह उन्होंने तमाम ख़तरे
मोल लेते हुए भी 669 मासूम बच्चों की जानें बचाई।
सदी के महानायक विंटन का यह प्रयास अनेक वर्षों तक लोगों से छिपा रहा सन्
1988 में जब बी.बी.सी. के एक कार्यक्रम में गुप्त योजना बनाकर उन बच्चों और
विंटन का पुनर्मिलन करवाया गया और उसका प्रसारण किया गया, तब जाकर विंटन
का यह महान योगदान दुनिया के सामने आया। जिन बच्चों को विंटन ने बचाया
था, वे आज इतने सालों बाद भी खुद को विंटन के बच्चे कहते हैं।
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निकोलस विंतन का जनम कब हो गया?
विंटन चेकोसलोवकिया कब गये थे?
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