Hindi, asked by sakshichetri, 1 year ago

एक मनुष्य के रूप में आप प्रकृति के लिए किन कर्तव्य को निभाई बूढ़ी पृथ्वी पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए

Answers

Answered by Anonymous
38

प्रकृति के आंचल और प्रांगण में ऊर्जा का महान भंडार संचित है। हमें स्वस्थ शरीर के लिए जिस ऊर्जा की जरूरत है, वह प्रकृति से ही प्राप्त होती है। जब हमारा शरीर प्राकृतिक अवस्था में रहता है, तब प्रकृति से उसकी एक लय बनी रहती है। इसीलिए सूर्य, वृक्ष, पृथ्वी, आकाश, जल, वायु आदि प्रकृति की ऊर्जा के स्नोत हैं, जिनके साहचर्य से हम स्वस्थ रहते हैं। यही कारण है कि हमारे ऋषि-मुनि प्रकृति के साहचर्य में ही ध्यान-चिंतन करके जीवन-सत्य को जानने के लिए साधना करते थे।आज भी पहाड़ों-जंगलों आदि नैसर्गिक निवास में रहने वाली जातियों में आधुनिक जीवन-शैली से उत्पन्न रोग नहीं मिलते हैं। प्रकृति हमारी मां है। उसे पता है कि हमारे शरीर के लिए कब किस चीज की आवश्यकता है। इसलिए प्रकृति ने अपने विभिन्न उपादानों में प्राणियों के पोषण के उपयुक्त पोषक तत्व डाल दिया है।

जैसे मां शिशु को न केवल अपना दूध पिलाती है, बल्कि प्यार-दुलार करके ममतामयी स्पर्श से उसके सारे तनाव दूर करती है, उसी प्रकार प्रकृति मां भी हमारा शारीरिक पोषण ही नहीं, हमारे मन को भी स्वस्थ और तनावमुक्त रखती है, किंतु हम मनुष्य अपने अहंकार में या अपनी मूर्खता में प्रकृति को मातृभाव से देखते ही नहीं हैं। हमारा सारा प्रयास जीवन को सुख के नाम पर कृत्रिम बनाने का रहता है या प्रकृति के विनाश का रहता है।हमारा उद्देश्य प्रकृति के साहचर्य में रहकर अधिक से अधिक प्राण ऊर्जा के संग्रह का प्रयास होना चाहिए। यह ऊर्जा कभी-कभी प्रत्यक्ष भी ली जाती है, जैसे प्रकृति ऊर्जा से संपन्न संतों के चरण छूकर, पेड़-पौधों को आलिंगन में बांधकर, पशुओं के संपर्क में रहकर या खुली आंखों से हरियाली को देखकर आदि। प्राकृतिक दृश्यों को निहारकर भी हम पोषण पा सकते हैं। लोग घरों व कार्यालयों में इसीलिए हरी-भरी लताएं लगाते हैं या स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रकृति के खुले आंगन में जाते हैं। इसी विराट प्रकृति से हम ऊर्जा प्राप्त करते हैं।पृथ्वी तो प्रकृति का एक अंग है। इसी पृथ्वी पर पानी, पेड़, पौधे, फल-सब्जी, अन्न, हरियाली आदि हमें प्राप्त होते हैं। जो व्यक्ति प्रकृति के संपर्क में रहकर जितनी अधिक ऊर्जा ग्रहण करता है, वह उतना ही अधिक स्वस्थ और दीर्घायु रहता है। नदी में स्नान करना, वृक्षों के नीचे बैठना, हरी घास पर खुले पांव चलना, ये सब प्रकृति की ऊर्जा ग्रहण करने के साधन हैं।

Similar questions