एक नगर में दो ष्स्त्रयााँ - एक ही बालक के सलए दािेदार – आपस में तकरार – मामला
न्यायाधीश के पास – दोनों की बातें सुनना – न्याय करना – बालक के दो टुकड़े करके बााँट लो – एक
स्त्री मौन – दसू री का रोना शुरू – बच्चे को न काटने की बबनती – न्याय – रोती हुई स्त्री को बालक देन story
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उत्तर:
पुत्र को लेकर दो स्त्रियों के बीच झगड़े की कहानी निम्नलिखित है।
व्याख्या:
- किसी नगर में एक स्त्री अपने नन्हें बालक के साथ रहती थी। उसी के पड़ोस में एक दूसरी स्त्री भी रहती थी जिसके कोई संतान नहीं थी। दूसरी स्त्री पुत्रवती ना होने के कारण पहले स्त्री से चिढ़ती थी।
- जब एक दिन पहले स्त्री अपने पुत्र को छोड़कर कहीं बाहर काम से गई थी, तब उसने उसके पुत्र को चुरा लिया। पहली स्त्री जब लौटकर आयी और उसने अपने बालक को घर पर ना पाया तो वह चीखने चिल्लाने लगी। बाद में जो उसे अपना पुत्र दूसरी स्त्री के पास दिखाई दिया, तो दोनों में पुत्र को पाने के लिए झगड़ा होने लगा।
- यह झगड़ा न्यायाधीश के पास पहुंचा। दोनों स्त्रियों ने उस बालक पर अपना दावा पेश किया। न्यायाधीश को समझ में नहीं आया कि किस प्रकार इस झगड़े को सुलझाया जाए। अंत में उन्हें एक तरकीब सूझी। न्यायाधीश ने कहा कि इस बालक को दो टुकड़ों में बांट कर दोनों स्त्रियों को एक-एक टुकड़ा दे दो। दूसरी स्त्री यह बात सुनकर प्रसन्न हो गई, परंतु पहले स्त्री ने चीख कर कहा," नहीं मालिक मेरे बालक को इसी स्त्री को दे दो कम से कम वह जीवित तो रहेगा चाहे किसी के पास भी रहे।"
- इस प्रकार पहले स्त्री की चिंता देखकर न्यायाधीश को समझ में आ गया कि वह उस स्त्री का ही पुत्र है। इस प्रकार न्यायाधीश ने पहली स्त्री को उसका पुत्र सौंप दिया और दूसरी स्त्री को कठोर दंड दिया गया।
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