एक और कहानी
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एक मगरमच्छ था। वह लोमड़ी को खाना चाहता था। पर लोमड़ी थी बहुत चालाक। वह मगरमच्छ की पकड़ी में ही नहीं आती थी। मगरमच्छ ने एक बार कछुए से मदद माँगी। कछुए ने कहा-लोमड़ी हमेशा नदी पर पानी पीने आती है। क्यों न तुम उसे वहीं पकड़ी लो! मगरमच्छ उस दिन नदी पर लोमड़ी का इंतज़ार करता रहा। पूरी रात काट दी। फिर पता चला कि.................................................... .................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................
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Answers
मगरमच्छ ने दो मित्रो के बिच की प्रेम भावना देखी और मित्रता कैसी सच्ची होती है उसे समझ आ गया I मित्रता तो किससे कछुए से पर वह समझ चुका था मित्र कैसे भी रूप का क्यों न हो मित्रता भावनाओंसे की जाती है ।
सीखः अंत भला तो सब भला ।
शीर्षक -मित्रता की निर्दयता पर पराभव
Answer:
चतुर लोमड़ी
एक मगरमच्छ था। वह लोमड़ी को खाना चाहता था। पर लोमड़ी थी बहुत चालाक। वह मगरमच्छ की पकड़ी में ही नहीं आती थी। मगरमच्छ ने एक बार कछुए से मदद माँगी। कछुए ने कहा-लोमड़ी हमेशा नदी पर पानी पीने आती है। क्यों न तुम उसे वहीं पकड़ी लो! मगरमच्छ उस दिन नदी पर लोमड़ी का इंतज़ार करता रहा। पूरी रात काट दी।
Explanation:
चतुर लोमड़ी
एक मगरमच्छ था। वह लोमड़ी को खाना चाहता था। पर लोमड़ी थी बहुत चालाक। वह मगरमच्छ की पकड़ी में ही नहीं आती थी। मगरमच्छ ने एक बार कछुए से मदद माँगी। कछुए ने कहा-लोमड़ी हमेशा नदी पर पानी पीने आती है। क्यों न तुम उसे वहीं पकड़ी लो! मगरमच्छ उस दिन नदी पर लोमड़ी का इंतज़ार करता रहा। पूरी रात काट दी। फिर पता चला कि लोमड़ी तो उसके इरादो को पहले से ही भाँप गई थी। अतः वह नदी की दूसरी ओर पानी पीकर चली गई। मगरमच्छ हाथ मलता रह गया । एक दिन लोमड़ी को किसी कारणवश नदी के पार जाना पड़ा। मगरमच्छ इसी अवसर की ताक पर था। उसने जैसे ही लोमड़ी को खाना चाहा, तो लोमड़ी बोली, “तुम मुझे खाना चाहते हो परन्तु मुझे खाओगे, तो तुम्हें बड़ी परेशानी होगी। मुझे खाते समय मेरी पूँछ यदि तुम्हारे गले में फंस गई तो तुम मर जाओगे।” मगरमच्छ यह सुनकर परेशान हुआ और बोला, “अब तुम ही बताओ में क्या करूँ।” लोमड़ी बोली, “तुम मुझे कुछ समय दो मैं अपनी पूँछ कटवाकर तुम्हारे पास आती हूँ।” मगरमच्छ उसकी बातों में आ गया और उसने लोमड़ी को छोड़ दिया। बस फिर क्या था लोमड़ी झट से भाग गई और उससे बोली- “मूर्ख दिमाग तो लगाता यदि मेरी पूँछ कट जाएगी, तो मैं तो वैसे ही मर जाऊँगी।”