एक पिन विधि द्वारा अवतल दर्पण की फोकस दूरी ज्ञात करना।
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Answer:
उद्देश्य -
किसी दूरस्थ वस्तु का प्रतिबिंब प्राप्त करने द्वारा अवतल दर्पण की फोकस दूरी ज्ञात करना।
सिद्धांत
समतल दर्पण की तरह ही अवतल दर्पण भी प्रकाश के परावर्तन के नियमों का पालन करता है।
वस्तु से आती हुई प्रकाश की किरणें - किसी दूर स्थित वस्तु जैसे सूर्य या दूरस्थ इमारत से आती हुई प्रकाश की किरणों को एक दूसरे से समांतर माना जा सकता है। जब ये समांतर किरणें अवतल दर्पण पर इसके अक्ष के अनुदिश पड़ती हैं, तो ये परावर्तित होती हैं और दर्पण के सामने एक बिंदु पर मिलती हैं, जिसे दर्पण का मुख्य फोकस कहते हैं।
दर्पण के फोकस पर वास्तविक, उल्टा और अत्यंत छोटे प्रतिबिंब का निर्माण होता है।
फोकस दूरी - अवतल दर्पण के ध्रुव P और फोकस F के बीच के दूरी अवतल दर्पण की फोकस दूरी कहलाती है। इस प्रकार, अवतल दर्पण की फोकस दूरी का आकलन इसके फोकस पर दूर स्थित वस्तु का 'वास्तविक प्रतिबिंब' प्राप्त कर किया जा सकता है, जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
Explanation:
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स्पष्टीकरण:
दूर की वस्तु की एक छवि प्राप्त करके, अवतल दर्पण की फोकल लंबाई निर्धारित करने के लिए।
विमान दर्पण की तरह थ्योरी -अवतल दर्पण, प्रकाश के परावर्तन के नियमों का पालन करता है।
1. किसी वस्तु से प्रकाश की किरणें - दूर की वस्तु से आने वाली प्रकाश की किरणें उदा। सूर्य या दूर की इमारत को एक दूसरे के समानांतर माना जा सकता है। 2. जब प्रकाश की ये समानांतर किरणें अपने अक्ष के साथ अवतल दर्पण पर पड़ती हैं, तो दर्पण के सामने एक बिंदु पर परावर्तित होती हैं और मिलती हैं, जिसे दर्पण का प्रमुख फोकस कहा जाता है।
3. दर्पण के फोकस पर एक वास्तविक, उल्टा और बहुत छोटा छवि आकार बनता है।
4. फोकल लेंथ - अवतल दर्पण के ध्रुव P और फोकस F के बीच की दूरी अवतल दर्पण की फोकल लंबाई है। इस प्रकार, अवतल दर्पण की फोकल लंबाई का अनुमान उसके फोकस पर दूर की वस्तु की 'वास्तविक छवि' प्राप्त करके लगाया जा सकता है, जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।