Biology, asked by faiz1354, 11 months ago

एक प्रारूपिक आवृतबीजी परागकोश में
लघु बीजाणुधानियों की संख्या होती है।​

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अनावृतबीजी या विवृतबीज (gymnosperm, जिम्नोस्पर्म, अर्थ: नग्न बीज) ऐसे पौधों और वृक्षों को कहा जाता है जिनके बीज फूलों में पनपने और फलों में बंद होने की बजाए छोटी टहनियों या शंकुओं में खुली ('नग्न') अवस्था में होते हैं। यह दशा 'आवृतबीजी' (angiosperm, ऐंजियोस्पर्म) वनस्पतियों से विपरीत होती है जिनपर फूल आते हैं (जिस कारणवश उन्हें 'फूलदार' या 'सपुष्पक' भी कहा जाता है) और जिनके बीज अक्सर फलों के अन्दर सुरक्षित होकर पनपते हैं। अनावृतबीजी वृक्षों का सबसे बड़ा उदाहरण कोणधारी हैं, जिनकी श्रेणी में चीड़ (पाइन), तालिसपत्र (यू), प्रसरल (स्प्रूस), सनोबर (फ़र) और देवदार (सीडर) शामिल हैं।[1]साइकस की पौध आंध्रप्रदेश व पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में तैयार की जाती है। इसका बड़ा तना लोगों का ध्यान खींचता है। वर्ष में एक बार इस पर नई पत्तियां आती हैं। इसमें गोबर की खाद डाली जाती है। इसका तना काले रंग का होता है। साइकस के पौधे की कीमत उसकी उम्र के साथ बढ़ती है।

इसके प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं-

1. साइकस (Cycas) में काष्ठ (wood) मेनोजाइलिक (Manoxylic) तथा पाइनस (Pinus) में पिक्नोजाइलिक (Pycnoxylic) होती है।

2. सबसे बड़ा अण्डाणु तथा शुक्राणु साइकस का होता है, जो कि एक जिम्नोस्पर्म है।

आर्थिक महत्व -

1. साइकस (Cycas) के तनों से मण्ड (starch) निकालकर खाने वाला साबूदाना (sago) का निर्माण किया जाता है।

2. साइकस के बीज अण्डमान द्वीप के जनजातियों द्वारा खाए जाते हैं।

3. साइकस की पत्तियों से रस्सी तथा झाड़ू बनायी जाती है।

1. इकस को सागो-पाम (sago palm) कहा जाता है।

2. साइकस ताड़ जैसे (Palm like) मरुदभिद पौधा है, जिसमें तना लम्बा, मोटा तथा अशाखित होता है। इनके सिरों पर अनेक हरी पतियाँ गोलाकार ढंग से एक मुकुट जैसी रचना बनाती हैं।

3. शैवाल युक्त साइकस की जड़ को कोरेलॉयड (Corranoid) जड़ कहते हैं।

4. साइकस (Cycas) को जीवित जीवाश्म (Living fossils) कहा जाता है।

Answered by franktheruler
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एक प्रारूपिक आवृतबीजी परागकोश में लघु बीजाणुधानियों की संख्या 4 होती है।

  • आवृत्त बीजी परागकोश दो लोब वाले होते है तथा तंतु से आधार पर या परागकोश के मध्य क्षेत्र में जुड़े रहते है।
  • परागकोश की केंद्रीय कोशिकाए , पराग मातृ कोशिकाए मेयोसाइट सायटो प्लास्म द्वारा कोलोस स्राव के माध्यम से मदर प्लांट से अलग हो जाती है।
  • पराग मातृ कोशिकाओं में अर्ध सूत्री विभाजन की प्रक्रिया होती है जिसके परिणाम स्वरूप वे टेट्राडस बनाती है। टेट्राडस से अविनाशी युवा सूक्ष्म या लघु बिजाणु मुक्त होते है।
  • सूक्ष्म बिजाणु एक निर्वात अवस्था में एक असममित विभाजन से गुजरते है जिससे कायिक तथा जनक नाभिक का निर्माण होता है। माइक्रो स्पोर नर गेमेटोफाइट में विकसित होते है।

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