एक प्रारूपिक भ्रूणकोष की रचना का नामांकित आरेख बनाकर निम्न भागों का एक
प्रमुख कार्य लिखिए :
(अ) अण्ड कोशिका
(ब) प्रतिध्रुव कोशिकाएँ
(स) सहायक कोशिकाएँ
Answers
answer:परिवर्धन : भ्रूणकोष परिवर्धन से पूर्व कार्यशील गुरुबीजाणु अथवा भ्रूणकोष मातृ कोशिका आकार में वृद्धि करती है। इसमें रिक्तिकाएँ बन जाती है। केन्द्रक समसूत्री विभाजन द्वारा दो पुत्री केन्द्रक बनाता है जो भ्रूणकोष के दो विपरीत ध्रुवो की तरफ अभिगमित हो जाते है। अधिकांश कोशिका द्रव्य इन दोनों केन्द्रकों के चारों तरफ वितरित रहता है और भ्रूणकोष के मध्य भाग में रिक्तिका और परिधीय कोशिकाद्रव्य का पतला स्तर होता है।
दोनों केन्द्रक सूत्री विभाजन द्वारा ध्रुवों पर दो दो पुत्री केन्द्रक बनाते है। यह भ्रूणकोष की चार केन्द्रकी अवस्था कहलाती है। एक और सूत्री विभाजन से आठ केन्द्रकी भ्रूणकोष बनता है जिसमें चार केन्द्रक एक ध्रुव पर और अन्य चार विपरीत ध्रुव पर होते है। प्रत्येक ध्रुव से एक एक केन्द्रक भ्रूणकोष के मध्य भाग की तरफ अभिगमन करता है। इन दोनों केन्द्रकों को ध्रुवीय केन्द्रक कहते है। दोनों ध्रुवीय केन्द्रक भ्रूणकोष के मध्य भाग में अंड समुच्चय के कुछ निकट आकर , परस्पर संयोजित हो जाते है तथा एक द्वितीयक केन्द्रक बनाते है।
दोनों ध्रुवों पर अब तीन केन्द्रक रह जाते है। बीजाण्डद्वारी ध्रुव के तीन केन्द्रक तीन केन्द्रक तीन कोशिकाओं में परिवर्धित हो , अंड समुच्चय अथवा अंड उपकरण बनाते है। निभागीय ध्रुव के तीनों केन्द्रक भी तीन प्रतिमुखी कोशिकाओं में परिवर्धित हो जाते है। इस प्रकार परिवर्धित हुए परिपक्व भ्रूणकोष में केवल सात कोशिकाएँ , एक अंडकोशिका , दो सहायक और तीन प्रतिमुखी कोशिकाएँ और भ्रूणकोष के मध्य में एक द्विगुणित कोशिका (द्वितीयक केन्द्रक) होती है।
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