(एक प्रत्यास्थ डोरी की स्वाभाविक लम्बाई a और प्रत्यास्थ मापांक 2mg है। इसका
एक सिरा बिन्दु 0 पर बंधा है और दूसरे सिरे से m द्रव्यमान का कण बांधा गया है। कण को बिन्दु
0 पर ले जाकर विरामावस्था से गिराया गया। डोरी का उच्चतम विस्तार ज्ञात कीजिए और सिद्ध
कीजिए कि कण वापिस बिन्दु 0 पर निम्न समय के बाद पहुंचेगा) :
(+2- tan-2)/(2a/g)
[UdaipurB.Sc. 2000,04;Ajmer,B.Sc.01, Hons.02]
Sol. मान लीजिए 01 = a डोरी की स्वाभाविक लम्बाई है जिसका एक सिरा O बिन्दु
पर बंधा है । दूसरे सिरे पर ॥ द्रव्यमान का कण बांधने पर, मान लो स्थैतिक सन्तुलन का बिन्दु
B है। माना स्थैतिक सन्तुलन में डोरी की लम्बाई में विस्तार AB = b. इस स्थिति में
डोरी में तनाव
b
या, mg=
(2 mg)
[-2 = 2mg]
a/2
कण को 0 बिन्दु से विरामावस्था से गिराया जाता है। 0 से 4 तक
कण की गति गुरुत्वाधीन होगी चूंकि बिन्दु A तक डोरी ढीली रहने से उसमें
तनाव नहीं होगा। यदि बिन्दु A पर कण का वेग हो, तो
" = (2ga) कण के बिन्दु A के नीचे जाते ही डोरी में तनाव आ
जायेगा। मान लीजिए। समय पर कण की स्थिति P है जहाँ BP =x. तथा
डोरी में तनाव है। इस समय कण की गति का समीकरण
dix
di2
b+x
b.
= mg - 2 mg
2mgb
=mg
2 mg
[: b = a/2]
mig
b=
=mg -T
a
-B
2 mg
a
2g
di2
dy
2g
28 x dx
vd = =
-
या,
dx
28+k
2.
समाकलन करने पर,
112
परन्तु । पर, -a/2, V=
1 - -a/2, v = / (2 ga)
ga
5
2ga%3
2
ga
Prored.
28/5
(2)
modulus
12
a
allow
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