एक पौधा जो जड़ तने और पत्तियों में विभाजित नहीं होता है
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सपुष्पक पौधे में जड़ तने और पत्तियों में विभाजित नहीं होता |
पौधे का वह भाग जो जमीन के अन्दर मुलांकुर से विकसित होकर प्रवेश करता है तथा प्रकाश के विपरीत जाता है, जड़ या मूल (root) कहलाता है।
मूल या जड़ उच्च कोटि पादपों (फर्न तथा बीजवाले पौधे) का भूमिगत भाग है, जिसमें न तो पत्तियाँ रहती हैं और न जनन अंग, किंतु इसमें एक शीर्ष वर्धमान (apical growing) सिरा रहता है। यह अवशोषण अंग, वाताप (aerating) अंग, खाद्य भंडार और सहारे का कार्य करता है। अधिकांश पौधों में जड़ बीजपत्राधर (hypocoty) के निम्न छोर के रूप में उत्पन्न होती है। बहुवर्षी (perennial) श्जड़े तने के सदृश ऊतकतंत्र प्रदर्शित करती है तथा इनका रँभ (stele) अविच्छिन्न रहता है। बहुवर्षी जड़ो के प्रकेधा (procambium) वलयक (strand) के विकास, अंतश्चर्म (endodermis) की सुव्यक्त मोटाई और वर्धन सिरे के विभज्योतक (meristem) के सुरक्षात्मक आवरण के रूप में अंतर होता है। अधिपादप (epiphytes) की जड़े पूर्णत: अग्राभिसारी (aerisl) होती है, किंतु अपस्थानिक (adventitious) जड़े पौधों के अन्य भागों पर उत्पन्न होती है। निम्न कोटि पादपों में जड़ों का अधिकांश कार्य प्रकंद करते है।