Physics, asked by tansihqshrivastava99, 2 months ago

एक परिनलिका की कुल लंबाई को अपरिवर्तित रखते हुए परिनलिका में फेरों की संख्या दुगुनी कर दी ज
जायेगा-
[1]. चार गुना
[2]. दुगुना
[3]. आधा
[4]. वर्ग के बराब​

Answers

Answered by nandha2401
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Explanation:

परिनालिका (solenoid) एक त्रिबिमीय (three-dimensional) कुण्डली (coil) को कहते हैं। भौतिकी में परिनालिका स्प्रिंग की भांति बनाये गये तार की संरचना को कहते हैं जिसमें से धारा प्रवाहित करने पर चुम्बकीय क्षेत्र निर्मित होता है। प्राय: ये तार किसी अचुम्बकीय पदार्थ (जैसे प्लास्टिक) के बेलनाकार आधार पर लिपटे रहते हैं जिसके अन्दर कोई अचुम्बकीय क्रोड, (जैसे हवा) या चुम्बकीय क्रोड (जैसे लोहा) हो सकता है। परिनालिकाएँ इसलिये महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उनकी सहायता से नियंत्रित चुम्बकीय क्षेत्र का निर्माण किया जा सकता है तथा वे विद्युतचुम्बकों की तरह प्रयोग की जा सकती हैं।

जहाँ x परिनालिका के अक्ष के मध्य बिन्दु से नापी गयी दूरी है।

यदि परिनालिका की लम्बाई उसकी त्रिज्या की तुलना में बहुत बड़ी हो, अर्थात् {\displaystyle l\gg r}{\displaystyle l\gg r} तो परिनालिका के अन्दर सम्पूर्ण अक्ष पर लगभग समान (constant) चुम्बकीय क्षेत्र होता है, जिसका मान

{\displaystyle H\approx {\frac {IN}{l}}}{\displaystyle H\approx {\frac {IN}{l}}}

यह चुम्बकीय क्षेत्र परिनालिका के बाहर जाते ही बहुत तेजी से शून्य हो जाता है।

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